छनन-छनन छन-छन पायलिया
ओढ़ि चली सिंदूरी चुनरिया
मधुमास भये
दिन चढ़ी गुजरिया ।
संदेह भरे मन
बूढ़े टेसू
ठाड़े कछु ताड़त
पकरि कमरिया ।
घुसत खेत लटपटात
लम्पट पवन मंद पी छेड़त
फुदकि-फुदकि के फुनगी-फुनगी
चुगली करत कोयलिया ।
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