भारत में विदेशी आक्रमणकारियों, अत्याचारियों और लुटेरों को महान निरूपित करने के लिए उनके नामों और उनके नाम वाले भवनों, स्मारकों, रेलवे स्टेशंस, मार्गों और गलियों को स्वतंत्र भारत के राजनेताओं द्वारा बहुत सहेजकर रखा गया है। मोतीहारी वाले मिसिर जी मानते हैं कि “यह भारत पर भारत के लोगों द्वारा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आक्रमण है, जिसकी घोर निंदा का अभियान चलाये जाने की आवश्यकता है”।
आज भारत के
राजनेताओं में इतना साहस नहीं है कि वे विदेशी आक्रमणकारियों के स्थान पर अपने राष्ट्रीय
गौरवों और महान राजाओं के कार्यों का गुणगान कर सकें और उनकी स्मृतियों को भावी
पीढ़ियों के लिए सहेज सकें। मोतीहारी वाले मिसिर जी मानते हैं कि भारत अभी भी
स्वतंत्र नहीं हुआ है, हम आज भी भौतिक, मानसिक और सांस्कृतिक रूप से पराधीन हैं। पराधीनता की इन बेड़ियों
को तोड़ना ही होगा अन्यथा यह देश भारत न रहकर कुछ और ही हो जायेगा, और इस ऐतिहासिक अपराध के लिए हम सब उत्तरदायी होंगे।
पाकिस्तान
के कुछ लोग जिस बात को समझने लगे हैं, वह भारत के लोगों को भी समझनी होगी। देखिये, क्या कहते हैं वे –
“पंजाब दशकों तक अपने असल
इतिहास को झुठलाता रहा है और एक ऐसा काल्पनिक इतिहास गढ़ने की कोशिश में जुटा रहा
जिसमें वो राजा पोरस और महाराजा रणजीत सिंह समेत असली राष्ट्र नायकों और सैकड़ों
किरदारों की जगह गौरी, गज़नवी, सूरी और अब्दाली जैसे नए राष्ट्रनायक बनाकर पेश करता रहा है जो
पंजाब समेत पूरे उपमहाद्वीप का सीना चाक करके यहाँ के संसाधन लूटते रहे” – पत्रकार जावेद लांगाह, क्वेटा, पाकिस्तान।
“अब वक़्त आ गया है कि पाकिस्तान
में बसने वाली तमाम क़ौमों के बच्चों को स्कूलों में सच बताया जाय और उन्हें अरब और
मुग़ल इतिहास के बजाय अपना इतिहास पढ़ाया जाय” – दरम ख़ान, पाकिस्तान।
पंजाब में
महाराजा रणजीत सिंह की प्रतिमा स्थापित किए जाने पर कट्टरवादियों को सम्बोधित एक
टिप्पणी – “महाराजा रणजीत सिंह पंजाब पर
शासन करने वाले पहले पंजाबी थे अगर सिंध सरकार एक ऐसी ही प्रतिमा राजा दाहिर की भी
लगा दे तो आपको गुस्सा तो नहीं आयेगा, कुफ्र और गद्दारी के फतवे तो नहीं जारी होंगे?” – पत्रकार निसार खोखर, पाकिस्तान
महाराजा दाहिर को सिंध का राष्ट्रनायक क़रार दिए
जाने की हिमायत करते हुये पाकिस्तान के डॉक्टर इसहाक़ समीजू लिखते हैं – “हर क़ौम को यह हक़ हासिल है कि जिन भी किरदारों ने अपने देश की
रक्षा के लिए जान की बाजी लगा दी उनको श्रद्धांजलि दी जाए”।
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