गुरुवार, 23 सितंबर 2010

कश्मीर

कश्मीर के भाइओ और बहनों ! पिछले कुछ महीनों से घाटी में जो कुछ हो रहा है वह पीड़ादायक है , संकट की इस घड़ी में हम पूरी तरह आपके साथ हैं. आप न  कभी अकेले थे. न अभी हैं और न  कभी अकेले रहेंगे .आपके दुःख में हम पूरी तरह सहभागी हैं. 

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टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.