पूर्णिमा जी की सधी हुई लेखनी से निकली काव्य धारा सरल,साफ़ और अत्यंत प्रभावी है. कोमल विषय,मन-मोहक शैली और गागर में सागर भरने की कला ......सब कुछ .........नवनीत के स्वाद सा अनुभव.
टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.
पूर्णिमा जी की सधी हुई लेखनी से निकली काव्य धारा सरल,साफ़ और अत्यंत प्रभावी है. कोमल विषय,मन-मोहक शैली और गागर में सागर भरने की कला ......सब कुछ .........नवनीत के स्वाद सा अनुभव.
जवाब देंहटाएंबेटियां कविता बहुत अच्छी लगी ...पूर्णिमा जी के ब्लॉग पर टिप्पणी करने का ऑप्शन भी लगवा दें ...
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