मंगलवार, 7 सितंबर 2010

Silence is not silent ......in the moonlight.....

सर्दियों  की रात की ये खामोशी...... और........ 
खोया - खोया  सा चाँद.
नहीं - नहीं .......
चुप नहीं है ......पूरी कायनात में पसरी ये 'खामोशी' .
सच......
इसने सब कुछ बता दिया है मुझे 
कि अभी तक ख़त्म नहीं हुई है तेरी तलाश. 
भोले  चाँद!
सुना है कि तू भी रोता रहा है रात भर.
देख , झूठ मत बोल,
मैंने  देखे  हैं 
जुही  की कलियों  पर ठहरे  ......
तेरे  आंसू ...
कलिओं  ने  रात भर  समेटा  है उन्हें 
चलो  न  !
आज  रात हम  दोनों 
मिल  कर  तलाशें  
अपनी -अपनी  मंजिलें 
शायद  मिल  जाएँ .


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