शहर में
आज फिर आतंकी
हमले हुये हैं
कुछ ज़िन्दा
आदमी
फिर
कतरा-कतरा होकर लाश हुये हैं ।
घायल
चीख रहे हैं
लोग
दहशत में भाग रहे हैं ।
लाशों
के छितरे हुये कतरों पर
मड़राने
लगे हैं
कौवे,
मक्खियाँ, चीटियाँ,
पत्रकार
और कैमरे ।
होने
लगे हैं
सीधे
प्रसारण,
परोसी
जाने लगी हैं
हादसाई
ख़बरें
गोया
सुनाया जा रहा हो ।
कोई
चटपटा किस्सा !
सनसनी
ने ले ली है
दर्द की
जगह ।
व्यापार
चमक उठा है
दर्द, लाशों,
आतंक ...
और
सनसनी का ।
मौत!
यहाँ एक
मसाला है ।
मौत!
यहाँ एक
किस्सा है ।
चलो,
अच्छा है...
दुनिया
दुःखनिरपेक्ष
हो गयी है ।
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