वे
वारदात
करते हैं
हम
वक्तव्य
देते हैं ।
वे
हमारे
घर में घुस कर
सिर काट
ले जाते हैं
हम
इसकी कड़ी
निन्दा करते हैं ।
वे
माहिर
हैं
हमें
गोलियों से भून देने में ।
हम
माहिर
हैं
मुँह
तोड़ ज़वाब देने में ।
हमें
बड़ा नाज़
है
कि हम
बन्द कर देते हैं उनकी बोली
उन्हें
बड़ा नाज़
है
कि वे
नहीं छोड़ते हमें बोलने के लायक भी
कर देते
हैं ख़ामोश
हमेशा
के लिये ।
हम
शांति
की अपील में विश्वास रखते हैं
वे
शांति
से बलात्कार करने में यक़ीन रखते हैं ।
वे
भारत के
शहरों में
फहराते
हैं अपने झण्डे
हम
हिम्मत
नहीं कर पाते
उन्हें
पकड़ने की ।
वे
करते
हैं भारत में शरीयत की बातें
हम
नहीं कर
पाते
कश्मीरी
पण्डितों के अधिकार की बातें ।
सच !
हमारा
देश महान है
हमारी
महानता बेशुमार है
और भारत
की आत्मा बेहद शर्मसार है ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.