मेरा आदर्श है वही
सत्य
जो मुझे दिखायी देता
है
मेरा आदर्श है वही
सत्य
जो मुझे सुनायी देता
है
मैं लड़ूँगी सत्य के
लिये
मैं लड़ूँगी न्याय के
लिये
जगाने हैं मुझे
सोते हुये मज़दूर और
किसान
नहीं स्वीकारना मुझे
तुम्हारे ढकोसले...
तुम्हारे बलात्कारी भगवान
हमें रामराज्य नहीं,
प्रगतिशील समाज चाहिये
प्रगतिशीलता, जो
वैज्ञानिक है
प्रगतिशीलता, जो ज़र्मनी,
फ़्रांस और चीन से आयी है
जिसके लिये आवश्यक है
तोड़ देना
सारी वर्जनायें
जो हर लेती हैं हमारी
स्वतंत्रता
और बना लेती हैं हमें
अपना दास
मैं नहीं सहूँगी अब और
वेदों और उपनिषदों की
बकवास
जाऊँगी दाराशिकोह की
क़ब्र पर
दूँगी जी भर गालियाँ
क्या पड़ी थी उसे
जो कर दिया पचास
उपनिषदों का अनुवाद
और फैला दी औपनिषदिक
बकवास
पूरी दुनिया में ।
मैं हो जाती हूँ पीड़ित
देखकर ग़रीबों और
अल्पसंख्यकों की पीड़ा
मैं लड़ूँगी उनके लिये
कर लूँगी समाज को मुक्त
जाति, धर्म, और वर्ग
के बन्धनों से
मैं जाऊँगी ग़रीबों की
झोपड़ी में
बैठकर जमीन पर उनके
साथ
पियूँगी महुआ की ताजी
शराब
और खाऊँगी गोमांस
बाह्मण हूँ तो क्या
हुआ
जिऊँगी स्वेच्छा से
करूँगी वह सब कुछ
जिससे प्रमाणित हो
मेरी प्रगतिशीलता
मैं जला दूँगी
मनुस्मृति
और रहूँगी रहमान बेग
के साथ
बिना लिये सात फेरे
प्रिय रहमान ! प्रिय
ज़ोसेफ़ ! प्रिय शांतनु !
बस ! अब और नहीं
दो महीने बाद
पूरी होते ही पीएच.डी.
हम गोराई बीच पर
बोन फ़ायर की रोशनी में
एक बार फिर करेंगे
लिप-लॉक
एक बार फिर करेंगे
समूह नृत्य
और फिर वह रात
तुम्हारी होगी
सिर्फ़ तुम्हारी
देखते हैं, कोई क्या
कर लेगा हमारा
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन और देविका रानी में शामिल किया गया है।कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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