इस
सप्ताह की दो दुःखद घटनाएँ हैं । हिंदुस्तान की कश्मीर घाटी में एक मात्र शेष बचे
कश्मीरी ब्राह्मण अजय पंडित की हत्या कर दी गयी । अस्सी के दशक से प्रारम्भ हुए
कश्मीरी ब्राह्मणों के सामूहिक जनसंहार की शायद यह पूर्णाहुति है घाटी में अब कोई
ब्राह्मण नहीं बचा । देश के बुद्धिजीवी ख़ुश हैं और इण्डिया का राजा भय एवं सत्ता के
मोह में ख़ामोश है ।
दूसरी
घटना मेवात में लम्बे समय से चली आ रही घटनाओं की ताजा जानकारी है, ...कि
मेवात के एक सौ तीन गाँव पूरी तरह से हिंदूविहीन कर दिए गए हैं जबकि अन्य गाँवों
में गज़वा-ए-हिंद का यह सिलसिला अभी भी चालू है । पाकिस्तान में हिंदुओं द्वारा ऐसी
घटनाओं की कल्पना भी नहीं की जा सकती किंतु भारत में मुसलमानों द्वारा ऐसी घटनाएँ आज़ादी
से पहले भी होती थीं, आज भी होती हैं ।
मेवात के
गाँवों में हिंदू लड़कियों के साथ होने वाले यौनापराधों, हिंदू
पुरुषों के उत्पीड़न और हिंदुओं को बलात् मुसलमान बनाने की निर्बाध घटनाओं से इण्डिया
के बुद्धिजीवी ख़ुश हैं और राजा धृतराष्ट्र ने अपने कानों को भी बंद कर लिया है ।
इण्डिया
का धृतराष्टृ देखता नहीं है, सुनता भी नहीं है केवल बोलता है
।
सरकार पर
भरोसा नहीं था इसलिए मुसलमानों से अपनी रक्षा के लिए हिंदुओं ने कई संगठन बना लिए ।
कलियुगी
संगठनों का सत्य यह है कि संगठन है तो राजनीति भी होगी, राजनीति
होगी तो सत्य की हत्या भी होगी । हिंदुस्तान में सत्य की हत्या हो रही है, कंस ने भारत को कारागार में डाल दिया है और इण्डिया ख़ुशी में रोज ज़श्न मना
रहा है ।
हम महान
आर्यों के निकृष्टतम और धूर्ततम वंशज हैं ।
...इस अप्रिय
सत्य का उद्घाटन करने के लिए टीवी चैनल न्यूज़ नेशन का आभार !
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