शनिवार, 1 नवंबर 2025

देशभक्ति का प्रमाण पत्र नहीं चाहिए

*डरे हुये लोग*
१.
बिहार विधानसभा चुनाव-२०२५, विधानसभा क्षेत्र- बलरामपुर, जनता से चुनावपूर्व रुझान पूछते हुये टीवी पत्रकार । उत्साहित जनता का रुझान – “बलरामपुर में हम लोग का ७० फीसदी आबादी है, हिंदू लोग तीसये पर्सेंट नू है, कहाँ से जीतेगा भाजपा! ...सब लोग तेजस्विये को नू देगा भोट”।
...और यह भाजपा है जो हिंदू-मुसलमान करके देश को बाँटने का काम करती है, बाबा साहब के संविधान की हत्या करती है । देश को जोड़ने का काम तो केवल बलरामपुर की सत्तर प्रतिशत जनता ही करती है ।

२.
समाचार है कि “मंदिर में घुसकर युवक ने मूर्ति पर बरसाये जूते”।
...लोग बड़े ठसके से कहते हैं कि -"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हमें बाबा साहब के संविधान ने दी है, देश तुम्हारे बाप का नहीं है, हम अपने धर्म का पालन कर रहे हैं, जो हमें कोई नहीं रोक सकता, जो रोकेगा उसका सर तन से जुदा कर देंगे”।

भारत का यह स्वरूप देखकर जवाहरलाल और मोहनदास की आत्मायें प्रसन्न हो रही होंगी, मीलॉर्ड्स भी प्रसन्न हो रहे होंगे । आज यदि मोहनदास जीवित होते तो हिंदुओं को अपना रटा-रटाया परामर्श देते- हिंदुओं को यदि इससे दुःख होता है तो उन्हें मर जाना चाहिये ...और इसके लिये उन्हें मुसलमानों का कृतज्ञ होना चाहिये कि उन्हें मृत्यु वरण का सुअवसर प्राप्त हो रहा है।
(जिन्हें प्रमाण देखने की उत्सुकता हो, वे कृपया यशपाल रचित "गांधीवाद की शवपरीक्षा" और "संपूर्ण गांधी वांग्मय" का अवलोकन करने की कृपा करें)
३.
*गाय खाऊँगी, काट के खाऊँगी*
*डरे हुये लोग केस-मुकदमे से नहीं डरते* इसलिये ग़ाजियाबाद में टोपी और दाढ़ी वालों से घिरी एक दुबली-पतली लड़की फरजाना को भी पूरा देश जानने लगा है । वह डरे हुये लोगों के समुदाय की है और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री एवं भारत के गृहमंत्री को चीख-चीख कर गंदी-गंदी गालियाँ देती हुयी अपनी वीडियो बनवा रही है – “...गली में घूमने वाला टकला...। गाय खायेंगे, काट के खायेंगे, जो केस करना हो कर लेना । तुलसी निकेतन ५५५ में आ जाना, जल्दी आना”।
पुलिस के लोग फ़रजाना को ऐसा कहने से रोकते हैं, डरी हुयी लड़की पुलिस वालों से भिड़ जाती है । यह डर बहुत अद्भुत् है जिससे मीलॉर्ड लोग बहुत द्रवित रहते हैं ।
...और कुछ अतिविद्वान लोग ताल ठोककर प्रायः यह कहते हुये सुने जाते हैं कि आर.एस.एस. और हिंदू लोग आतंकवादी होते हैं । आतंकवादियों के चिन्हांकन का यह ज्ञान मीलॉर्ड्स को भी कदाचित् अच्छा लगा होगा ।

४.
*मंदिर में मोहम्मद*
मंदिरों की भित्ति से लगी मस्जिदों का निर्माण। रेलवे प्लेटफार्म पर दरगाह का निर्माण, सड़क पर नमाज, मंदिर में नमाज के प्रयास...।
मोहनदास ने भी मंदिर में नमाज पढ़ने के लिये अपने युग में नमाजियों को आमंत्रित किया था । इससे भारत के लोगों को यह संदेश दिया गया कि सामाजिक समरसता के लिये मंदिर में नमाज पढ़ना आवश्यक एवं न्यायसंगत है पर मस्ज़िद में हनुमानचालीसा या गीता का पाठ करना पापपूर्ण और अल्पसंख्यकों की धार्मिक भावनाओं का अपमान करने वाला कृत्य है ।
मोहनदास और जवाहरलाल का स्वप्न सच करने के लिए कांग्रेस ही नहीं, अन्य भी कई राजनीतिक दल सक्रिय हो चुके हैं । प्रसन्न होकर नृत्य कीजिये, लड्डू बाँटिये ।

५. *धर्म की अनुमति नहीं*
समाजवादी पार्टी के माननीय अबू आजमी साहब ने विद्यालयों में राष्ट्रगीत “वंदेमातरम्...” का विरोध किया है । वंदे मातरम् गीत गाने के लिये उनका “धर्म” उनके “डरे हुये विद्यार्थियों” को “अनुमति नहीं देता”।
...इसलिये विद्यालयों में धर्म को अपवित्र करने वाला गीत नहीं गाया जाना चाहिये, भले ही उस गीत को गाने के लिये इस देश के अन्य लोगों को उनका धर्म अनुमति देता हो । अर्थात् सेक्युलरिज़्म केवल सनातनियों के लिये है, डरे हुये लोगों के लिये नहीं ...बाबा साहब के संविधान में ऐसा ही लिखा गया होगा !

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