नाम - आफिया सिद्दीकी, *न्यूरोसर्जन*
जन्म - २ मार्च १९७२, कराची, सिंध, पाकिस्तानशिक्षा - मैसाचुएट्स इंस्टीट्यूट्स आॅफ़ टेक्नोलाॅजी से बी.एस. ; ब्रांडीज यूनिवर्सिटी से न्यूरोसाइंस में पीएच.डी.
कार्य - समाज सेवा
प्रियकार्य- कट्टर इस्लामिक जिहाद
इस्लामिक दायित्व - इंस्टीट्यूट आॅफ़ इस्लामिक रिसर्च एंड टीचिंग की बोर्ड मेंबर।
सांप्रदायिक धारा - कट्टरसुन्नी
उपाधि- लेडी अल-क़ायदा
वर्तमान स्थिति - जिस अमेरिका से शिक्षा ग्रहण की उसी के विरुद्ध अफ़ग़ानिस्तान जाकर जिहाद किया। अमरीकी सेना के अधिकारियों की हत्या के प्रयास में गजनी में पकड़ी गयी और फ़ेडरल मेडिकल सेंटर, कार्सवेल, टेक्सास में ८६ वर्ष का कारावास भोग रही है।
सामाजिक प्रतिष्ठा- *पाकिस्तान से लेकर अमेरिका तक आफिया की मुक्ति के आंदोलन चल रहे हैं जिसमें खालिस्तान के पीले झंडे भी चमकते दिखाई देते हैं*।
आफिया का विश्वास है कि धरती पर मुसलमान के अतिरिक्त अन्य किसी को जीने का अधिकार नहीं है। वह पूरी दुनिया को सुन्नी बनाने में विश्वास रखती है। वह फिलिस्तीन की समर्थक है और उसे स्वतंत्रदेश के रूप में मान्यता दिलाने के लिये प्रयासरत है।
*जो लोग काफिरों को जीने का अधिकार नहीं देना चाहते वे अपने स्वयं के जीने के मानवीय अधिकारों के लिये आंदोलन कर रहे हैं।*
*इधर भारत में जो कहते थे कि अशिक्षा और निर्धनता लोगों को आतंकवादी बनाती है, वही विद्वान अब कहने लगे हैं कि मोदी सरकार मुसलमानों को आतंकवादी बनने के लिए विवश करती है*।
जनता को तय करना है कि कराची की न्यूरोसर्जन डाॅक्टर आफिया सिद्दीकी को अमेरिका में आतंकवादी किसने बनाया, मोदी ने या वहाँ के सत्ताधीशों ने?
*कुछ लोग मानते हैं कि सिद्दीकी उत्तर भारत के कायस्थ थे जो मुसलमान बन गये। हिंदू से मतांतरित होकर मुसलमान बने लोगों को अरब के लोग मुसलमान नहीं मानते, वे उन्हें कट्टर और आतंकवाद प्रेरित मानते हैं। पाकिस्तान बनाने के पीछे ऐसे ही लोगों का हाथ था जिनका इस्लाम से कोई लेना देना नहीं था।*
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