वर्ष २००१० की तीन सबसे विवादित महिलाओं के नाम समाचार-पत्रों की सुर्खियाँ बने रहे ....दुख हुआ यह सब जानकर ....सरकार महिलाओं को आरक्षण देने की बात करती है .....हम भी कहते हैं कि उनका विकास होना चाहिए ..पर क्या इसी बानगी के साथ ? ...ये तीनो सामान्य महिलाएं नहीं हैं .....उच्च-शिक्षिता और प्रभावशालिनी. इनमें नीरा राडिया शासन के प्रति उत्तरदायी नहीं हैं ......वे अपराध करें तो इतना गम्भीर नहीं है जितना गम्भीर अन्य दोनों महिलाओं का है ..क्यों कि उनमें से एक माधुरी गुप्ता भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी हैं जिन पर देश की गोपनीय जानकारी पाकिस्तान को देने का आरोप है ...और दूसरी महिला है जस्टिस निर्मल यादव ज़ो न्याय करने के लिए उत्तरदायी हैं और जिन पर पाञ्च लाख रूपये की रिश्वत लेने का आरोप है.. हमारी संस्कृति में नारी शक्ति को पूज्य माना गया है ..उसी पूज्य नारी नें कितने अविवेकपूर्ण तरीकों से कुपथ गामिनी होकर न केवल सभी नारियों का अपितु पूरे देश का सिर लज्जा से झुका दिया है . हम तो इनका इतना सम्मान करते हैं कि इनकी निंदा भी करने में संकोच कर रहे हैं ...पर इन्होंने ज़ो किया उसके लिए उन्हें स्वयं अपनी निंदा करनी चाहिए और अपने अपराध स्वीकार कर प्रायश्चित के लिए स्वयं को प्रस्तुत करना चाहिए
निसंदेह शर्मनाक हैं ऐसे प्रकरण ।
जवाब देंहटाएंअपवाद हर जगह होते हैं...
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