डॉक्टर्स
का सेमिनार हो 
सेमिनार
सरकारी हो 
काटने
के लिए फीता हो 
आमंत्रित
अतिथि नेता हो
तो कहा
जा सकता है 
दावे के
साथ 
कि वहाँ
होगा 
वह सब
कुछ 
होना
चाहिए 
जो कभी नहीं
किंतु 
नहीं
होगा वह
किया जाता
है आयोजित
जिसके
लिए सेमिनार ।
अन्दर
तक घुस चुकी हैं जड़ें 
अलोकतांत्रिक
लोकतंत्र की 
ऐसे
सुनियोजित सेमिनार्स में 
जो
सिर्फ़ 
अहम
हिस्सा भर होते हैं 
बौद्धिक
षड्यंत्रों के
होता है
जिनका 
सीधा
सम्बन्ध 
नेताओं
के विकास से 
और 
नेताओं
के विकास का 
भारत के
दुर्भाग्य से । 
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन कार्तिक पूर्णिमा ~ देव दीपावली और गुरु पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ - ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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