No Vaccine, no
medicine…..
No more
scientific dilemma to combat COVID-19. The world is
waiting for any remedy since last seven months. Now, one has to live with
CORONA by cloves, using black pepper, star anise, cinnamon and dried zinger each
in equal quantity. This composition is well known potent antiviral to intercept
replication of genome of virus. So please take 2 gm of
this powder twice daily mixed with honey or warm water and live safely. अर्थात लौंग, काली मिर्च, स्टार एनिस, दालचीनी और सोंठ सभी समान मात्रा में लेकर
मिश्रण बना लें । इस मिश्रण में से 2-2 ग्राम प्रतिदिन दो बार
गर्म पानी या मधु मिलाकर लें ।
किसी भी
वायरल संक्रमण से बचने के लिए धूपन द्रव्य –
वचा, सरसों,
सरई गोंद, कालातिल, यव,
घृत, नारियल और गुड़ की समिधा तैयार कर प्रतिदिन
सुबह-शाम संध्याकाल में धुआँ (फ़्यूमीगेशन) किया जाना प्रशस्त है । यह एण्टीवायरल फ़्यूमीगेशन
है ।
कोरोना रोकथाम
के लिए लें (these
are antiviral and immunity booster as well as prophylactic)
-गर्म पानी
नीबू (lemon
maintains cellular metabolism and improves sustainable capacities)
फ़्लू जैसे
लक्षण होने पर लें
-1Tab Fifatrol (AIMIL
pharma) सुबह-शाम अथवा (गुडुच्यादिघन वटी, व्योषादि
वटी एवं त्रिभुवनकीर्ति रस तीनों में से 1-1 गोली तीन बार
-महासुदर्शन
काढ़ा 4-4 चम्मच 3 बार
ध्यान रहे, कोरोना
संक्रमण से होने वाली मौतों की सम्भावनाएँ उन्हीं में अधिक हैं जो पहले से ही मधुमेह,
हृदयरोग, न्यूमोनिया, ट्युबर्कुलोसिस,
या हिपेटाइटिस जैसी गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे हैं ।
अथ कोरोना
विषाणु रहस्यम् ...
कोरोना वायरस
के सम्बंध में दो नई सूचनाएँ प्रकाशित हो रही हैं । पहली यह कि 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों
ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पत्र लिखकर कोरोना की एयर टांसमिशन विशेषता को उजागर करते
हुये स्वास्थ्य सेवा विषयक नई गाइड लाइन जारी करने का आग्रह किया है । लंदन स्कूल ऑफ़
हाइजिन एण्ड ट्रॉपिकल मेडिसिन के प्रोफ़ेसर
Martin
McKee ने पर्याप्त वैग़ानिक तर्कों के आधार पर कोरोना के विस्तार में इसके एयर बॉर्न स्वरूप
को स्वीकार करते हुए इस कॉन्सेप्ट का समर्थन किया है ।
दूसरी सूचना
यह कि एण्टी कोरोना वैक्सीन बनाने की चल रही क़वायद की सफलता और असफलता अभी तक लक्ष्यविहीन और संदिग्ध
है । कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हर वायरस का वैक्सीन सम्भव नहीं है अन्यथा अब
तक सभी वायरल डिसऑर्डर्स समाप्त हो चुके होते ।
तीसरी सूचना
कोरोना से सम्बंघित तो नहीं है किंतु है कोरोना कण्ट्री से ही सम्बंधित । ख़बर है कि
काली मौत के नाम से कुख्यात प्लेग की वापसी से इस समय चीन जूझ रहा है । चीन में कुछ
लोग प्लेग संक्रमण से संदिग्ध पाए गए हैं ।
माइक्रॉब्स
की दुनिया का सत्य यह है कि –
-माइक्रॉब्स
को पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता ।
-माइक्रॉब्स
पर हमला करने वाले उपायों से माइक्रॉब्स में जेनेटिक म्यूटेशन होता है जिससे उनके नए
स्ट्रेन उत्पन्न हो जाते हैं जो पहले से भी अधिक ख़तरनाक हो सकते हैं ।
-माइक्रॉब्स
के किसी स्पेसिफ़िक स्ट्रेन के लिए बनायी जाने वाली दवाई या टीके की एक निश्चित सीमा
और निश्चित लक्ष्य होता है जिससे ऐसे उपाय उसी माइक्रॉब के अन्य स्ट्रेन्स के लिए अनुपयोगी
होते हैं।
-माइक्रॉब्स
से लड़ाई का डिफ़ेंसिव तरीका ही व्यावहारिक और वैज्ञानिक है इसलिए बचाव, इम्म्यूनिटी
इम्प्रूवमेंट और एण्टीऑक्सीडेण्ट्स का उपयोग हमारी रणनीति का अहम हिस्सा होना चाहिए
।
-जिस तरह
हमने बहुत से अन्य वायरस, जिनमें एड्स और हिपेटाइटिस ए-बी-सी जैसे घातक वायरस भी सम्मिलित हैं,
के साथ रहना सीख लिया है उसी तरह हमें कोरोना के साथ भी रहना सीखना होगा
यानी हमें अपनी जीवनशैली में आवश्यक परिवर्तन करने ही होंगे ।
जो बदलेगा
वही जिएगा...
सामान्य
सर्दी ज़ुख़ाम के लिए ज़िम्मेदार कई वायरस परिवारों में कोरोना परिवार के भी HCoV-OC43, HCoV-HKU1,
HCoV-229E और HCoV-NL63 सदस्य शामिल हैं । वर्तमान
नोवेल कोरोना स्ट्रेन जेनेटिकली मोडीफ़ाइड होने के कारण अधिक घातक है । धीरे-धीरे इस
स्ट्रेन का भी प्रभाव कम होने लगेगा । सर्दी-ज़ुख़ाम की तरह हम कोरोनाजन्य सार्स को भी
नियंत्रित कर लेंगे और तब यह इतना मारक नहीं रहेगा । हाँ ! कोरोना ने दुनिया को बहुत
कुछ बदलने के लिए मज़बूर कर दिया है ।
साइंस के
अतियोग से हो जाती है दिमागी बदहज़मी...
कैमिस्ट्री
का एक तकनीकी शब्द है सपोनीफ़िकेशन । यह एक रासायनिक क्रिया है जिसके परिणामस्वरूप बने
नए यौगिक का नाम रखा गया सोप या साबुन । सपोनीफ़िकेशन में तेल का स्तेमाल किया जाता
है । अब साबुन का स्थान डिटरज़ेंट ने ले लिया है जिसमें तेल का कोई स्तेमाल नहीं होता
यही कारण है कि डिटर्ज़ेंट के कारण आजकल कॉण्टेक्ट डर्मेटाइटिस के केस बढ़ गए हैं । स्नान
करने वाले अधिकांश साबुन के निर्माण में भी अब तेल का स्तेमाल नहीं होता । अतः कोरोना
से बचने के लिए दिन भर बारम्बार साबुन (?) से हाथ धोने के बारे में ख़ुद
भी विचार कर लें ।
यहील
बाजार में उपलब्ध सैनेटाइज़र्स का भी है । इनके अधिक उपयोग से कैंसर तक होने की सम्भावनाएं
बढ़ जाती हैं । अब आप ख़ुद तय कीजिए कि कोरोना से बचने के और सुरक्षित उपाय क्या हो सकते
हैं ।
कई देशों
की तर्ज़ पर दिल्ली में भी कुछ कॉलेज के बाहर कंट्रासेप्टिव डिवाइसेज़ उपलब्ध करवाये
जाने की ख़बर बहुत पहले सुनने और पढ़ने में आयी थी । यह एड्स से बचने के उपायों में से एक था । आने वाले
समय में एक दिन वह भी आ सकता है जब घर के बाहर फ़ायरब्रिगेड की गाड़ी खड़ी करके कहा जायेगा
“अब लगा लो घर को आग, हम खड़े हैं बुझाने के लिए”।
चलते-चलते...
कोरोना न
होता तो नहीं मिलती शुद्ध खोये की मिठाई...
मैं धर्मपथ
पर हूँ फिर भी शक्ति अधर्म का वरण क्यों कर रही है - श्रीलंका की रणभूमि में युद्धरत राम के मन में एक
दिन यह द्वंद्व हुआ । तब चिंतन-मनन के बाद राम को भी शक्तिपूजा का अनुष्ठान करना पड़ा
। सार यह कि जो शक्ति की साधना करेगा, शक्ति भी उसी का वरण करेगी । अस्तु,
हमें भी लवंग, कालीमिर्च और कर्णफूल (Star
anise) का चढ़ावा चढ़ाकर उस रहस्यमयी शक्ति की पूजा करनी चाहिये जो द सो
काल्ड डेडली वायरस कोरोना पिछले कई महीनों से प्रदर्शित करता आ रहा है । हम सचमुच कृतज्ञ
हैं कोरोना के जिसके कारण दशकों बाद शुद्ध खोये की मिठाइयाँ खाने को मिल रही हैं ।
ग्वालियर, भिण्ड और मुरैना से छत्तीसगढ़ आने वाले नकली खोये से
फ़िलहाल छत्तीसगढ़ के लोगों को मुक्ति मिल गयी है ...और ईमानदारी से कहूँ तो यह क्रेडिट
जाती है डेडली वायरस कोरोना को । स्वतंत्र भारत का प्रशासन और क़ानून बहुत से ऐसे काम
नहीं कर सका जिसे कोरोना ने कर दिखाया है और जिसका प्रत्यक्ष लाभ हम जैसे गरीब-गुरबा
लोगों को मिल रहा है । विद्वान लोग लड़ते रहें द सो काल्ड डेडली वायरस कोरोना से हम
गुरबा-गुरबा लोगों को तो शुद्ध खोये की मिठायी, शुद्ध गंगाजल,
शुद्ध वायु और बहुत सा शुद्ध ज्ञान इस कोरोना के कारण ही प्राप्त हुआ
है ।
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