शुक्रवार, 31 जुलाई 2020

विद्या ददाति अविनयम् ...

गाँव में आये दिन लोगों को आपस में झगड़ा करते देखा करता था । बहुत छोटे-छोटे स्वार्थों और बहुत बड़े-बड़े अहंकारों ने उन्हें उग्र और हिंसक बना दिया था ।

बचपन में हमें न जाने कितनी बार विद्या ददाति विनयम्की सूचना दी गयी थी । जब हम बड़े हुये तो विदित हुआ कि यह मात्र सूचना ही नहीं बल्कि एक रहस्य भी है ।

अब मुझे विनय की तलाश थी ।

हम उत्साहपूर्वक विद्वानों की सभा में गये, वहाँ कलह तो मिली पर विनय नहीं मिला ।

विनय को खोजने हम पढ़े-लिखे लोगों की बस्तियों में गये, विनय को खोजते रहे, विनय नहीं मिला । हम विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों के पास गये, वहाँ हमें विद्या मिली जिसे लेकर विद्यार्थियों के दो गुटों में खूनी संघर्ष हो रहा था, वहाँ विनय की तलाश करने का कोई अर्थ नहीं था ।

हम संगीतकारों और कलाकारों के पास गये, कलह वहाँ भी मिल गयी पर विनय नहीं मिला । पता चला कि विनय अपनी गर्ल फ़्रेण्ड के साथ रिलेशनशिप में था । एक दिन कलह ने इतनी कलह की कि विनय को आत्महत्या कर लेनी पड़ी ।

विनय इस दुनिया में कहीं नहीं है । विद्या है, कलह है पर विनय नहीं है । 

हमने पढ़ा कुछ और देखा कुछ और और यह भी कोई कम रहस्य की बात नहीं ।

पता चला है कि विनय की मौत की जाँच करने वाले दो गुटों ने भी आपस में कलह शुरू कर दी है ।

 

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आभार...

सत्य के उद्घाटन के लिए हम कलियुग के वर्तमान चरण के आभारी हैं । हम उन अतिविद्वानों के भी बहुत आभारी हैं जो टीवी डिबेट्स में हर घड़ी सत्योद्घाटन में लीन रहते हैं । हम टीवी कार्यक्रमों के आयोजकों और प्रस्तुतकर्ताओं के भी बहुत आभारी हैं जिनके कारण हम सत्य को जान पाते हैं ।

और अब फ़्लैशबैक में असली बात...

मोतीहारी वाले मिसिर जी के अनुसार – सत्य का असली रहस्योद्घाटनकर्त्ता वह होता है जो सत्ता में नहीं होता । हर विपक्षी ने हमें आज तक यही ज्ञान दिया है कि अभी जो सत्ता में है वह नालायक है, लायक तो केवल हम हैं किंतु दुर्भाग्य से अभी हम सत्ता में नहीं हैं ।

इसका अर्थ यह हुआ कि हम सदा से नालायकों द्वारा ही शासित होते रहे हैं और आज भी नालायकों द्वारा ही शासित हो रहे हैं ।      

हम टीवी डिबेट्स के इसलिए भी बहुत आभारी हैं कि उन्हीं के कारण हम उस सत्य का दर्शन कर पा रहे हैं जिसे अभी तक हर सत्यान्वेषी हम सबसे छिपाता रहा है, जैसे यही कि तोता-मैना के किस्सों की तरह रामायण भी एक गल्पकाव्य है, राम एक काल्पनिक चरित्र है किंतु कुतुबुद्दीन चौहान वल्द निज़ामुद्दीन तोमर ही राम का एकमात्र जीवित और असली वंशज है इसलिए इस देश पर हुक़ूमत करने का हक केवल मुसलमानों का ही है और यह भी कि भारत में हिंदुत्व को निरंतर अपमानित करते करना ही सेक्युलरिज़्म का सम्मान करना है, सेक्युलरिज़्म नेरूजान का वह गोदपुत्र है जिसे हिंदुत्व से नफ़रत है । 


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