वे राजा
दाहिर की रानी और दोनों राजकुमारियों की तरह महीनों की यातनायें भोगते हुये विदेशी
धरती पर क्रूर लोगों के बीच अपमानजनक आचरण के साथ मरना नहीं चाहती थीं । इसलिए
तत्कालीन परिस्थितियों ने भारतीय राजवंशी स्त्रियों के समक्ष आत्मदाह का मार्ग
प्रशस्त किया । यह वह समय था जब स्त्रियों को लूटने वाले क्रूर विदेशी आक्रांताओं से
बचने के लिए भारत की राजपूत स्त्रियों के पास आत्मदाह के अतिरिक्त और कोई उपाय नहीं
था । स्त्रियों को आज भी ऐसी क्रूरष्ट यातनायें भोगते हुये मरने के लिए बाध्य होना
पड़ता है । हमारी लोकतांत्रिक और न्यायिक व्यवस्थायें इसे रोक पाने में पूरी तरह
असफल रही हैं ।
मुझे इस
बात की गहन वेदना है कि भारतीय संविधान और कानून के छिद्रों ने क्रूरष्ट अपराध
करने के लिए नाबालिगों को प्रोत्साहित करने की अराजक परम्परा को जन्म दिया है ।
निर्भया काण्ड के बाद ऐसे नाबालिग अपराधियों की संख्या में ख़ूब वृद्धि हुयी है ।
भारत
वाली (नेपाल और पाकिस्तान वाली नहीं) अयोध्या में मर्यादापुरुषोत्तम माने जाने
वाले और जनमानस के प्रेरणास्रोत रहे श्रीराम मंदिर का पुनर्निर्माण होने जा रहा है
। इस बीच बलूचिस्तान में एक स्थानीय मौलाना के हुक़्म से एक खेत में निकली भगवान
बुद्ध की एक हजार सात सौ साल पुरानी मूर्ति को तोड़ कर नष्ट कर देने का समाचार
भयभीत करने वाला है । इस्लाम के नाम पर भारतीय सभ्यता और जनआस्थाओं से जुड़ी
प्राचीन मूर्तियों, मंदिरों और पुस्तकालयों को नष्ट करने का एक दीर्घकालीन इतिहास विदेशी
आक्रांताओं द्वारा लिखा जाता रहा है । भारतीय उपमहाद्वीप की महाशक्तियाँ पिछले
चौदह सौ सालों से मूर्तियों, मंदिरों और पुस्तकालयों की
रक्षा कर पाने में पूरी तरह असफल रही हैं । हम कैलाश पर्वत,
मानसरोवर, शारदापीठ और तक्षशिला जैसे भारतीय अस्तित्व के
परिचायक रहे पवित्र स्थानों को वापस ले पाने में भी आजतक असफल ही रहे हैं ।
...तो
क्या स्त्रियाँ जन्म लेना बंद कर दें? ...तो क्या मंदिर निर्माण
नहीं किये जाने चाहिये?
समय
बदला और जौहर को सामाजिक कुरीति मानते हुये अपराध घोषित कर दिया गया । किंतु यह भी
समस्या का समाधान नहीं था । जौहर बंद हो गया पर स्त्रियों की सम्मानजनक सुरक्षा का
प्रश्न अनुत्तरित ही रह गया । तब लड़कियों की सुरक्षा और उनके विवाह में होने वाली
परेशानियों से जूझने की सम्भावनाओं ने भ्रूणहत्या का मार्ग खोज लिया और लड़कियों की
गर्भ में ही हत्या की जाने लगी । समस्या का समाधान अभी भी नहीं मिल सका ।
कन्या
भ्रूणहत्या को तो अपराध घोषित कर दिया गया किंतु क्रूर नाबालिग यौनापराधियों पर
लगाम कसने के सार्थक उपायों पर कोई योजना आज तक नहीं बन सकी । स्त्री सम्मान और
सुरक्षा के प्रश्न आज भी अनुत्तरित हैं । जब तक हम क्रूरष्ट अपराध करने वाले
नाबालिगों को वयस्कतुल्यअपराधी मानना स्वीकार नहीं करेंगे तब तक स्त्री सम्मान और
सुरक्षा की सारी योजनायें धूर्ततापूर्ण छल के अतिरिक्त और कुछ नहीं होंगी ।
भारत
में श्रीराममंदिर का पुनर्निर्माण होने जा रहा है, उधर पाकिस्तान में
कृष्ण मंदिर की नींव तोड़ दी गयी । भारत में इस्लामिक कट्टरपंथियों और उनके चाटुकार
हिंदू राजनीतिज्ञों द्वारा श्रीराम के ऐतिहासिक अस्तित्व पर आज भी निर्लज्ज और
निराधार टिप्पणियाँ की जा रही हैं और श्रीराम मंदिर पुनर्निर्माण का विरोध भी
अनवरत किया जा रहा है ।
भारत के
बहुत से लोग नहीं चाहते कि श्रीराममंदिर का पुनर्निर्माण किया जाय । श्रीराम ने तो
मात्र एक व्यक्ति की टिप्पणी का आदर करते हुए सीता को अग्निपरीक्षा का आदेश दिया था, आज वे
होते तो इतने लोगों के विरोध पर उनकी क्या प्रतिक्रिया होती!
क्या
भारत के लोग इतने समर्थ हैं कि वे सोमनाथ जैसी घटनाओं की पुनरावृत्तियों को रोक
सकें ? यदि नहीं तो उन्हें श्रीराम मंदिर पुनर्निर्माण का कोई नैतिक अधिकार नहीं
है ।
मैं एक
ऐसे मंदिर की सुरक्षा के लिए चिंतित हूँ जो अपने पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में है
और जो आने वाले समय में हिंदुओं की सामूहिक हत्या और भारत विभाजन का कारण बनने
वाला है ।
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