भारत के
वैज्ञानिकों ने एण्टी कोरोना वैक्सीन बनाया ...दुनिया के कई ग़रीब देशों के
नागरिकों को सच्ची वाली ख़ुशी हुयी पर भारत के नेतागण प्रसन्न नहीं हुये, विरोध
के बादल फटने लगे – “मोदी फेकू है, वैक्सीन बनाने से पहले कम
से कम कोरोना वायरस के बारे में जान तो लेता, वायरस को जाने बिना
वैक्सीन बना दिया? और फिर वैक्सीन से अधिक आवश्यक है गलवान और
अरुणांचल में चीनियों की घुसपैठ को रोकना जिसके बारे में मोदी गूँगा बना रहता है,
मोदी देश को चीनियों के सामने प्लेट में सजा कर दिये दे रहा है। हम मोदी
को उखाड़ फेकेंगे।”
भारत को
यू.एन. की अध्यक्षता का अवसर मिला, भारत के नेतागण और अतिबुद्धिजीवी
ख़फ़ा हो गये, विरोध का बादल फटा – “मुल्क में कोरोना फैला है और
मोदी को भाखन देने से फुरसत नहीं । मोदी हटाओ देश बचाओ”।
भारतीय वैज्ञानिकों
ने कोरोना की पहली औषधि खोज ली, देव-किन्नर-गंधर्व सब हर्षित हुये,
भारत के “नेतागन आ बेसीबुद्धी बाला बिदवान लोग” रिसिया गया, विरोध का एक हथगोला फेंक कर मारा – “मोदिया अकदमे पगला गिया है, ममता भनर्जी क गाँव में रोज रतिया के एगो भेड़िया आता है कब्बो किसी का त कब्बो
किसी का एगो बकरा-बकरी-मुर्गा-मुर्गी ले जाता है। गरीब का चिंता नहीं है मोदिया को
के बेचारा जिएगा कइसे? कोरोना का दबइया से भेड़िया भागेगा...सुने
हैं कब्बो?”
इसरो या
डी.आर.डी.ओ. की कोई बड़ी उपलब्धि की ख़बर आते ही भारत के नेताओं और अतिबुद्धिजीवियों
में मातम छा जाता है, विरोध के रॉकेट पर रॉकेट दागे जाने लगते हैं – “दिल्ली में दूध नकली बिक रहा
है, मेरी दाढ़ी के बाल सफ़ेद होने लगे हैं, नेलकटर बाज़ार से ग़ायब हैं, नाख़ून बढ़ते जा रहे हैं,
कुत्ते का पिल्ला नाली में गिर गया, फ़िरोज़ भाई
के घर में चोरी हो गयी, चोर अभी तक पकड़े नहीं जा सके,
दिल्ली में मोदी की नाकारा पुलिस सो रही है और मोदी मजे से चाय पी रहा
है...इसरो और डीआरडी के नाम पर झूठ बोलने से जनता माफ़ नहीं करेगी मोदी को”।
मोतीहारे
वाले बाबा मिसिर जी गुस्से में हैं कि “बड़का-बड़का पढ़ा-लिखा नेता लोग
जनता को सरेआम अतना बुड़बक काहें बूझता है!”
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