माँ ! सरस्वती वर दे !
वर दे ! वर दे !! वर दे !!!
सृजनशील हो मेरी लेखनी
ऐसी मति कर दे.
शब्द और स्वर की देवी तुम
ज्ञान सुधा बरसातीं
तुम्हीं नाद में, तुम्हीं साज में
सुर-सरगम भरतीं .
तेरा सुत हूँ, सुधा पिला दे
मेरी नीरस वाणी में माँ
अमृत रस भर दे .
शब्द शक्ति ही महाशक्ति है
यही सृष्टि और यही प्रलय है.
रहे प्रभावी शब्द शक्ति माँ
ऐसी धी कर दे.
पाप बढ़ा, संताप बढ़ा और
झुलस रही धरती
श्रद्धानत हो विनय करूँ मैं
प्रेम बहा कर सारे जग को माँ !
क्षमावान कर दे.
हों संवेदनशील हृदय सब
मन निर्मल गंगाजल.
बुद्धि शुद्धि हो, हो प्रकाशमय
तन प्रभात सा चमके
नष्ट तिमिर कर, सकल सृष्टि को
प्रभावान कर दे
जीवन की गति सबल-सरस हो
ऐसी लय कर दे !
किया निरादर गुरुकुल से
दान हुआ व्यापार.
सरस्वती सुरसतिया हो गयी,
लक्ष्मी भई लछिमिनियाँ.
साध सका ना तेरी साधना
बिखर गए सुरताल
मैं शरणागत बन आया आज
कि अब तो सुर सुमधुर कर दे
माँ ! सरस्वती वर दे !!!
माँ सरस्वती का वरदान आपको प्राप्त है, बस इसको बनाए रखिए!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर लिखा है.... माँ शारदे की कृपा आप पर बनी रहे...... बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें
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