कांकेर राजपरिवार की आराध्या देवी के दर्शन से पूर्व आवश्यक है
पवित्र सरोवर के जल में चरण प्रक्षालन
यह पवित्र सरोवर है ....
कांकेर स्थित गढ़िया पर्वत के ऊपर
जिसके नाम पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध गढ़िया महोत्सव का उद्घाटन माननीय मुख्यमंत्री जी के द्वारा किया जाता है।
पादप्रक्षालन के साथ ही मुखप्रक्षालन भी ...
देवी दर्शन से पूर्व एक बार गुड़ाखू कर लूँ तो कुछ बात बने
गुड़ाखू मतलब
गुड़ और तम्बाखू का मिश्रण
समीप बैठी कन्या के हाथ में जो छोटी सी डिब्बी दिख रही है ...उसी में है गुड़ाखू। छठे क्रम के चित्र में गुड़ाखू करके सरोवर में ही कुल्ला करते हुये लोग स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
बात श्रद्धा की है
जब सभी मुख-पाद प्रक्षालन कर ही रहे हैं तो मैं ही क्यों पीछे रहूँ
भारतीय समुदायों में शक्ति की पूजा का विशिष्ट महत्व है
नवरात्रि के अवसर पर ब्रह्माण्ड की रचना करने वाली ..उसका संचालन करने वाली ...और उसको पुनः निराकार में लीन कर देने वाली शक्ति के स्मरण ...पूजन ...और आराधन के लिये
टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.
बढ़िया....
जवाब देंहटाएंबस्तुर से जुड़े रहना ही सुखद है...
अनु
बस्तर*
हटाएंsunder chitr aur ek nayi baat janne ko mili.
जवाब देंहटाएंaabhar.
यकीन नहीं होता कि इतना हरा पानी भी कहीं हो सकता है. अच्छा लगा देखकर. बाकी तो, जहाँ श्रद्धा की बात हो वहाँ कोई लोजिक काम नहीं करता :).
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