ये कलियाँ हैं हरसिंगार यानी विष्णुप्रिया यानी
शेफाली यानी निक्टेंथस अर्बोर्ट्रिस्टस की। इसकी पत्तियों के रस का सेवन सियाटिक
पेन में लाभकारी होता है। तीन लोगों को इससे पूर्ण लाभ हुआ है जबकि दो को कोई लाभ
नहीं हुआ। हाँ
! साइड इफ़ेक्ट कुछ भी नहीं
..यानी निर्भय होकर प्रयोग किया जा सकता है।
... इसके पुष्प रात में बिखेरते हैं ख़ुश्बू और दिन में
अपनी ख़ूबसूरती....तभी तो नाम पड़ा निक्टेंथस ..
..और यह है नीलापराजिता ....इसकी फ़लियों में लगने वाले इसके छोटे-छोटे बीजों का चूर्ण छोटे-छोटे बच्चों को होने वाले न्यूमोनिया में प्रभावकारी है। चूर्ण की मात्रा है -मात्र 125मिलीग्राम। ...खिलाने से पहले शहद मिलाना मत भूलियेगा।
बला को उखाड़ना भी एक बला है.... जड़ें अन्दर तक धसी हुयीं
.....नर्विन टॉनिक है...नर्व्स को बल प्रदान करने वाला तभी तो इसका नाम है बला यानी सिडा कॉर्डीफ़ोलिया। इसके बीज़ अफ़्रोडिजियेक होते हैं जबकि जड़ें नर्विन टॉनिक। इसकी कई प्रजातियाँ भारत में पायी जाती हैं ...इनमें से एक है सिडा लॉंन्गीफ़ोलिया ...काम दोनो का एक ही है।
...यह रहा सिडा लॉन्गीफ़ोलिया
फूल के ऊपर पत्ती...
गाँव की पुरानी पहेली है यह ...
नाम है द्रोणपुष्पी। छत्तीसगढ़ में इसकी कोमल
पत्तियों की भाजी बहुत लोकप्रिय है। पीलिया और यकृत की व्याधियों में इसका भूरिशः
प्रयोग किया जाता है।
यह रहा बस्तर का देशी स्टीविया ...अरे वही ..जिससे शुगर फ़्री की गोलियाँ बनायी जाती हैं।
कृष्ण कालिन्दी और कदम्ब के संयोग से कौन अपरिचित है भला! अब यहाँ
बस्तर में जमुना तो है नहीं पर कोण्डागाँव में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे खड़े
कदम्ब के फल ने मुझे मथुरा की याद दिला दी। गाड़ी से उतरा...कृष्ण, कालिन्दी
और कदम्ब को स्मरण किया....फिर खीच ली एक फ़ोटो ...आपके लिये ...
कृष्ण को मोर पंख
बहुत प्रिय था .....और बेटी वेणु को भी। अंतर बस इतना ही है कि कृष्ण ने मुकुट में
धारण किया था और रानी बेटी ने अपने कान में। वेणु बिटिया कृष्ण की भक्त है। ..और
संयोग देखिये कि कृष्ण को वेणु की वंशी बहुत प्रिय है
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कृष्ण को मोर पंख बहुत प्रिय था .....और बेटी वेणु को भी। अंतर बस इतना ही है कि कृष्ण ने मुकुट में धारण किया था और रानी बेटी ने अपने कान में। वेणु बिटिया कृष्ण की भक्त है। ..और संयोग देखिये कि कृष्ण को वेणु की वंशी बहुत प्रिय है ....
सुन्दर पोस्ट....
जवाब देंहटाएंपेड़ पौधों फूलों पर लिखा मुझे सभी अच्छा लगता है...
आखरी तस्वीर मनमोहक...
अनु
धन्यवाद एक्स्प्रेशन जी! बॉटनी मेरा प्रिय विषय रहा है। आख़िरी तस्वीर बिटिया रानी की है।
हटाएंलाजवाब चित्र, कमाल की जानकारी।
जवाब देंहटाएंपरनाम करतानी भइया जी! रउआ जड़ी-बूटी के प्रयोग करे ख़ातिर अन्य लोगन के भी प्रोत्साहित करीं।
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