1-
मुझे पता चल गया है
क्यों थम जाती हैं......
सिर्फ नदी की ही साँसें .........
जब भी सख्त होता है मौसम,
और .........कोई समंदर क्यों नहीं बनता
खुद एक ग्लेशियर ? .
सूरज का अहम्
क्यों टकराता है बार-बार
चांदनी से ?
चांदनी से ?
मुझे पता चल गया है ........
"रात" उस दिन भी आयी थी .....
आते ही ...फूट-फूट कर रोई थी
मैंने देखा ......
उसके ज़िस्म पर
उसके ज़िस्म पर
चोटों के गहरे निशान थे.
२-
कमाल है .....
बस
ज़रा सी तो पिघली थी बर्फ़ ......
हिम नदी की
और इस कदर शोर मचाने लगा समंदर ........!
कमाल है .........
इतने भी आँसू
समेट नहीं पाता किसी के.......
समेट नहीं पाता किसी के.......
बड़ा मर्द बना फिरता है .
३-
ग़ज़ल
रात दिन .........
ये ज़ो कतरा-कतरा खून
जलता रहता है न ! मेरे जेहन में
उसी के धुंएँ से बनी हैं .......
ये ढेरों आकृतियाँ ..........
ये ढेरों आकृतियाँ ..........
ज़ो इतनी खूबसूरत लगती हैं तुम्हें .........
और लोग .......कितने दीवाने हैं
कि इन्हें ही समझ बैठते हैं
मेरी ग़ज़ल.
मुझे पता चल गया है ........
जवाब देंहटाएं.....................
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इन बेहतरीन नज्मों को पाठकों तक पहुँचने तो दीजिये .....
पोस्ट कम से कम सप्ताह भर बाद बदलें .....
आपका हुक्म सर आँखों पर
जवाब देंहटाएंबस
जवाब देंहटाएंज़रा सी तो पिघली थी बर्फ़ ......
हिम नदी की
और इस कदर शोर मचाने लगा समंदर ........!
कमाल है .........
इतने भी आँसू
समेट नहीं पाता किसी के.......
बड़ा मर्द बना फिरता है .
hmmmmm..baba ...bahut pyaraa likhaa hee....bahut acha roopka bithaya he aapne..
aur.haan...Gazhal wali nazm bhi khoobsurat he
wo kehate hain na,,
ki..
Mere tute hue dil ko koi shayari kahe to koi gam nahi
dard to tab hota he jab koi wah wah kehta he