.
जा रहे थे यूँ ही
कुछ न तय था कहीं .
फिर मिली एक डगर
पर न मंजिल कहीं .
रात में रौशनी यूँ
अचानक हुई .
कोई रिश्ता नया
एक उगता दिखा .
मीठे-मीठे उठे
आज फिर दर्द हैं .
कोई बताये हमें
क्या इन्हें नाम दें .
ख़ुश्बुएँ कैद हैं
काँटों के साए में .
कैसे हम उनको ये
उनका इनाम दें .
ख़ुश्बुएँ कैद हैं
जवाब देंहटाएंकाँटों के साए में
hmmmmmmm
baba...kuch rishte naate..bas aise hi hote hain...unhe kyaa naam de soch se baahr rehata he ye swaal...bahut gehri rchna baba....[:)]
khushben band hain kaanto ke saaye me....bahut hii khoobsurat...aur anokhi soch....[:)]
take care
bahut achha
जवाब देंहटाएंसिर्फ एहसास है ये रूह से महसूस करो!! नाम की हद में इनको बाँधा नहीं जा सकता!!
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