"ए सखी ! सुन्यो हे बसंत आय गयो .....जे देखो ....आम के पेड़ में बौर कैसो झूम रयो ए....."
हरो घाघरो पीली चुनरी पीलो गजरो
"मोय तो लगे तू भी बौराय गयी ए.......जे आम को पेड़ नाय ए ........"
"हाय दइया...तौ का मैं बाबरी है गयी ........"
" और नइ तो ...... जे तो बस्तर में चिरौंजी को पेड़ बौरायो ए ......चल छोड़ ....तू तो जे गीत को मजो लैले ...."
हरो घाघरो पीली चुनरी पीलो गजरो
मौसम ने लै लई अंगड़ाई छाँट्यो कोहरो....
छाँट्यो कोहरो तुमायी सौं ह्वै गयो बेसुध मैं नाच्यो झूम-झूम के.
गोरी को नयो-नवेलो मीत, पगड़ी सर पे बांधे पीत
नैन सों झरैं प्रीत के गीत.....
झरैं प्रीत के गीत तुमायी सौं ह्वै गयो बेसुध मैं गायो झूम-झूम के.
कोयल मस्ती में कूके, हवा ने कान हैं फूके
भ्रमर अब काहे को चूके........
काहे को चूके तुमायी सौं ह्वै गयो बेसुध मैं आयो झूम-झूम के.
बचैगो ना कोऊ प्यासो, निकल कें बाहर तो अइयो
संदेसो कलियन ने भेज्यो .......
कलियन ने भेज्यो तुमायी सौं ह्वै गयो बेसुध मैं झूम्यो झूम-झूम के.
हुलस के झांकएँ तेरे अंग, टपके अंग-अंग मकरंद
आजा तोय लगाय लऊँ अंग........
तोय लगाय लऊँ अंग तुमायी सौं ह्वै गयो बेसुध मैं पी ल्युं झूम-झूम के.
चिरौंजी