सुबह दुहा ....... छोड़ दिया ------
जाओ, दिन भर इधर उधर मुंह मारो और डंडे खाओ ......
शाम को दुहा, फिर छोड़ दिया ...... जाओ, सड़क पर कहीं भी सो जाना............ सुबह फिर आ जाना .
नहीं, अब और नहीं............
- "सेठ जी ! इंसानी चरित्र पर कोई किताब दिखाना तो ज़रा ......"
जब तक सेठ जी किताब खोजें तब तक मैं ज़रा इन्हें ही देख लूं ..........
गौ माता जी ! यह वाली किताब दे दूं क्या ?
हाँ ठीक है -------------यह किताब चलेगी -----मगर पॉलीथिन में डाल कर मत दीजिएगा-------------
ये सारे फोटो नोकिया मोबाइल से खीचे हुए हैं ...... वक्त था सुबह का .... और दूकान है लखनऊ की ......
डॉक्टर साहब,
जवाब देंहटाएंइंसानी चरित्र का इतना दोहन किया है उसकी वासनाओं ने कि अब उसपर किताब तो क्या शास्त्र लिखे जा सकते हैं!!
मजेदार.
जवाब देंहटाएंइंसानी चरित्र के किताब अब शायद इंसान नहीं बेजुबान पढेंगे ...
जवाब देंहटाएंगज़ब का व्यंग्य उकेरा है !
जवाब देंहटाएंचित्रों की भाषा गज़ब, बूझ सके तो बूझ।
शब्द शब्द की सूझ है, कुछ अबूझ भी बूझ।।
insane caritr ... polythene me hi dal kar dega .. dekh leejiega
जवाब देंहटाएंमनोज भैया ! बिलकुल ठीक कहा आपने. मेरे मना करने के बाद भी दुकानदार लोग पॉलीथिन में डाल कर ही देते हैं. जब मैं कहता हूँ कि निकालिए इसे...तो वे हकबका जाते हैं. परिचित दुकानदार भी ऐसा ही करते हैं ..पर वे तुरंत गलती सुधार भी लेते हैं, यह कहते हुए कि ..क्या करें सर ! आदत ही हो गयी है...
जवाब देंहटाएंअर्थात गलतियाँ आदत बन गयी हैं और आदत सदाचार .....
बहुत बढ़िया....इंसानी चरित्र पर किताब...... कौन करेगा यह दुष्कर कार्य...
जवाब देंहटाएंफोटो नोकिया मोबाइल से खिंचे होने पर भी आपके बेहतरीन फोटोग्राफर होने का संदेश दे रहे हैं......
जय गौ माता...काश समय रहते हम सुधर पायें....
वह कौशलेन्द्र जी बहुत बढिया सन्देश आभार ..
जवाब देंहटाएंsachha ehasaas
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