ये है मुम्बई मेरी जां....
मरीन लाइंस पर मस्ती का मज़ा ही कुछ अलग है....पर स्कूल से बंक ? ........नहीं यह नहीं चलेगा ....
घूमने तो हम भी आये हैं यहाँ .....काठियावाड़ से
मरीन लाइंस से चौपाटी
मनुष्य के लगाए प्रतिबंधों को कब स्वीकार किया है सागर ने ......लहरों का विरोध लेश भी कम नहीं हुआ है अभी तक....
मुम्बई की धड़कन...लोकल ट्रेन.....
मरीन लाइन्स ....सैर करने का हक़ सिर्फ इंसानों का ही नहीं,
....कबूतरों को कौन रोकेगा भला .....
इतने कबूतर ! जी हाँ ! पर ये कैद नहीं हैं .....दाना चुंगने आये हैं ...फिर उड़ जायेंगे .......
मुम्बई की पहचान में पारसी भी हैं. शुरू में बेकरी और थियेटर के लिए पारसी विख्यात थे. थियेटर कला को ऊंचाई तक पहुंचाने में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता.......आज पारसी लोग कई प्रकार के धंधे करने लगे हैं ....पर व्यापार उनमें प्रमुख है ....
मरीन लाइंस में ओवर ब्रिज के नीचे की ज़िंदगी...
बात मुम्बई की हो और डिब्बे वालों का ज़िक्र न हो तो लगता है मुम्बई की एक नब्ज़ छिपा दी गयी है ....
राम राम कौशलेन्द्र सर |
जवाब देंहटाएंआपको सपरिवार नव वर्ष की शुभेच्छाएं |
कैमरा जान मारू...चित्र ब्लॉग फारू हैं।
जवाब देंहटाएंतस्वीरें और प्रस्तुति भी बढि़या.
जवाब देंहटाएंऑफिस जाने के पहले घंटे भर और ऑफिस से निकल कर घंटे भर नरीमन प्वाइंट पर समंदर को देखने, उसके खारेपन में सुबह की मिठास अपने अंदर बसा लेना और शाम को ऑफिस की सारी तिक्तता उसी समंदर को देकर खाली हाथ लौट जाना.
जवाब देंहटाएंमेरे सपनों का शहर... मेरे अंदर बसा!! आप आपकी आँखों से देखा तो तो आकर्षण पुनः जीवित हो उठा, मानो बुला रहा हो मुझे!!
आपकी नज़र से मुंबई को देखना ला-जवाब है।
जवाब देंहटाएंतस्वीरों के जरिये मुंबई की सैर करके अच्छा लगा हमें भी.........
जवाब देंहटाएंअच्छा जी अकेले अकेले घूम आये हमें बताया भी नहीं।
जवाब देंहटाएंकब गए मुम्बई .....?
जवाब देंहटाएंतस्वीरों के बदले उनका वर्णन ज्यादा खूबसूरत है ......
@ अच्छा जी अकेले अकेले घूम आये हमें बताया भी नहीं।
जवाब देंहटाएंक्यों बताते हम आपको ? आप महीन में दस बार चीन की सीमा में घुस के वापस आ जाते हैं ...च्यांग-चुंग, चाऊमीन....चूं-चूं और पता नहीं क्या-क्या खाके ...हमें बताया कभी ? अभी क्या हुआ ...अगली बार समंदर के अंदर भी जायेंगे ....मछलियों से बातें करेंगे ....और आपको यूं ही फोटो दिखा-दिखा के तरसाते रहेंगे ....जय राम जी की.
@ मेरे सपनों का शहर... मेरे अंदर बसा!! आज आपकी आँखों से देखा तो आकर्षण पुनः जीवित हो उठा, मानो बुला रहा हो मुझे!!
सलिल भैया ! महानगरों में मुम्बई का कोई सानी नहीं. महीने भर यायावर बनके घूमने का मन करता है .....काश ...
@ शिल्पा जी ! जय श्री कृष्ण !
@ राहुल जी ! हम १५ को प्रतीक्षा करेंगे आपकी.
@ ए हो पांडे जी ! इ कैमरा का नहीं ...हमार अँखिया के कमाल बा. राउर के मुंबई के फोटो नीमन लागल....जान के हमार उत्साह बsढ़ गइल.
@ सुज्ञ जी ! मात्र तीन घंटे के समय में इतना ही कवर कर सका. अन्य कार्यों में व्यस्तता अधिक थी.
@ अंकुर जैन जी ! हमारे जंगल में आपके प्रथम आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है .....
कौशलेन्द्र जी,अच्छी रही आपकी सचित्र यात्रा। आप पहले बताते तो हम आपसे मिलने के बहाने ही मुम्बई घूमने आ जाते। :)
जवाब देंहटाएंकोई बात नहीं, अगली बार सही। खुदा सज्जनों से मिलाये और बुरी नज़र से बचाये!