मंगलवार, 13 जनवरी 2015

शत्रुवत मित्र



26 जनवरी 2015 के दिन
लाल किले के समारोह में आमंत्रित है
एक विशिष्ट अतिथि
जिसका आचरण
निन्दनीय ही नहीं
भर्त्सना के योग्य भी है ।
पूरा विश्व देखता रहा है
उसके आर्थिक वरदानों को 
बरसते हुये
एक आतंकी की झोली में
जो संकल्पित है
अपनी सम्पूर्ण शत्रुता और दुष्टता के साथ
छिन्न-भिन्न कर देने के लिये
भारत के गणतंत्र को ।
भारत के गणतंत्र पर्व पर
आमंत्रित अतिथि
स्वयं को

मुसलमान कहता है ।  

1 टिप्पणी:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (14-01-2015) को अधजल गगरी छलकत जाये प्राणप्रिये..; चर्चा मंच 1857 पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    उल्लास और उमंग के पर्व
    लोहड़ी और मकरसंक्रान्ति की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.