मंगलवार, 20 अगस्त 2024

कोलकाता निर्भया के बाद अब देहरादून निर्भया

कितनी निर्भयायें ?

(दिल्ली के कुख्यात निर्भया कांड से पहले भी दो सौ पचास ज्ञात-निर्भयाओं के साथ लम्बे समय तक शृंखलाबद्ध एवं सुनियोजित तरीके से सामूहिक यौनदुष्कर्म किया जाता रहा था इसलिए निर्भयाओं के क्रूरइतिहास में इस नामकरण से पूर्व की पीड़िताओं को भी सम्मिलित किया गया है । कोलकाता मेडिको कांड निर्भया-दो नहीं, दो सौ अट्ठावन है)।

अथ निर्भया शृंखला...

निर्भया (दो सौ पचास), शृंखलाबद्ध एवं सुनियोजित सामूहिक यौनदुष्कर्म, अजमेर शरीफ़, सन् १९९२

अजमेर शरीफ़ दरगाह के ख़ादिम परिवारों के चिश्तियों द्वारा एक लम्बे समय तक किया जाता रहा भारत का सबसे बड़ा यौनदुष्कर्म, जिसमें विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अध्ययन करने वाली निर्भयाओं की संख्या दो सौ पचास थी । बत्तीस वर्ष तक चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद आज न्यायालय के न्यायाधीश निर्भयाओं पर कृपा करके निर्णय सुनाने की कृपा करेंगे, इस बीच छह निर्भयाओं ने आत्महत्या कर ली । “विलम्ब से न्याय, अन्याय है” का ढिंढोरा पीटने वाले न्यायालय का बत्तीस वर्ष बाद न्याय अद्भुत् है ।

निर्भया (दो सौ एक्यावन), प्रभावशाली लोगों द्वारा लम्बे समय तक कलाकार का सामूहिक यौनदुष्कर्म, किलिरूर केरल, सन् २००३,

फ़िल्म में काम दिलाने के बहाने भिन्न-भिन्न स्थानों पर ले जाकर कई प्रभावशाली लोगों द्वारा यौनदुष्कर्म, एक बच्ची को जन्म देने के बाद युवती की मृत्यु, पाँच आरोपी दोषी पाये गये ।

निर्भया (दो सौ बावन)), सामूहिक यौनदुष्कर्म, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली, सन् २०१२,

पैरामेडिकल छात्रा से चलती बस में सामूहिक यौनदुष्कर्म के बाद क्रूरतापूर्वक अंगभंग, गुप्तांगों में लोहे की ब्लंट रॉड से आंतरिक प्रहार, पेट चीरकर आँतें बाहर निकाल दी गयीं । चिकित्सा के अनन्तर मृत्यु । चिकित्सा करने वाले डॉक्टर्स ने अपने जीवन में ऐसी कोई वीभत्सता न देखी थी, न सुनी थी, पीड़िता की हृदयविदारक स्थिति देखकर डॉक्टर्स अपने को रोक नहीं सके और रो पड़े थे ।  

न्यायालय की महानता – इस कांड का एक अपराधी अवयस्क था जिसने निर्भया के गुप्तांग में रॉड से प्रहार कर सर्वाधिक क्रूरता की थी, उसी सर्वाधिक क्रूरता करने वाले अवयस्क अपराधी को उसकी पहचान छिपा कर बालसुधार गृह में रखा गया जहाँ उसके उग्र व्यवहार से सभी लोग परेशान रहते थे । वयस्क होने पर उसे दक्षिण भारत में किसी अज्ञात स्थान पर सर्वथा नयी पहचान के साथ आर्थिक सहयोग दे कर स्वाबलम्बी बनाकर पुरस्कृत किया गया । अपराध में वयस्कों को भी बहुत पीछे छोड़ देने वाले क्रूर अपराधी की अवयस्कता को पुनर्परिभाषित करने की आवश्यकता न्यायविदों और विधायिका को आज तक नहीं हुयी अद्भुत् भारत! विश्वगुरु भारत! 

निर्भया (दो सौ तिरेपन), सामूहिक यौनदुष्कर्म, बुलंदशहर, सन् २०१६

नोयडा जाते समय माँ-बेटी को कार से उतारकर, खेत में ले जाकर सामूहिक यौनदुष्कर्म ।  

निर्भया (दो सौ चौवन), सामूहिक यौनदुष्कर्म, उन्नाव, सन् २०१७

बी.एससी. द्वितीय वर्ष की दलित छात्रा का अपहरण, कई दिन तक सामूहिक यौनदुष्कर्म के बाद हत्या, लकड़ी या लोहे की छड़ से गुप्तांगों में आंतरिक प्रहार, हत्या के बाद शव को गड्ढे में गाड़ दिया गया । प्रशासन ने घटना के प्रमाणों का युक्तियुक्त परीक्षण नहीं किया, पुलिस द्वारा अपराध अन्वेषण कार्यवाही में घोर उपेक्षा, प्रभावशाली अपराधियों को बचाने के राजनीतिक प्रयास किये गये ।  

निर्भया (दो सौ पचपन), आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक यौनदुष्कर्म, कठुआ, सन् २०१८

सामूहिक यौनदुष्कर्म के बाद सिर को पत्थर से कुचलकर बच्ची की हत्या कर दी गयी ।

निर्भया (दो सौ छप्पन), सामूहिक यौन दुष्कर्म, हैदराबाद, सन् २०१९

विटरनरी डॉक्टर के साथ सामूहिक यौनदुष्कर्म, बाद में जीवित जला दिया गया । एक पुलिस अधिकारी ने चार अपराधियों को मुठभेड़ में मार गिराया जिस पर पुलिस अधिकारी को पुरस्कृत करने के स्थान पर बंदी बना लिया गया और उस पर चार लोगों की हत्या के आरोप में कानूनी कार्यवाही की गयी । जहाँ ऐसा अद्भुत् दंड-विधान हो वहाँ किसमें साहस है जो रोक सके निर्भयाओं की शृंखला ?

निर्भया (दो सौ सत्तावन), दलित युवती के साथ सामूहिक यौनदुष्कर्म, हाथरस, सन् २०२०

चिकित्सा के अनंतर पीड़िता की मृत्यु । अपराध अन्वेषण में शासन-प्रशासन द्वारा उपेक्षा की गयी । अपराधियों को बचाने के प्रयास ।

निर्भया (दो सौ अट्ठावन), चिकित्सा वैज्ञानिक के साथ सामूहिक यौनदुष्कर्म, कोलकाता, सन् २०२४

कोलकाता के आर.जी.कर मेडिकल कॉलेज एण्ड हॉस्पिटल में पीजी ट्रेनी एवं युवा वैज्ञानिक द्वारा ड्रग्स, पोर्नोग्राफ़ी, मानव-अंग-व्यापार एवं आर्थिक भ्रष्टाचार में सम्मिलित न होने एवं इन कृत्यों का विरोध करने के कारण युवा वैज्ञानिक के साथ सामूहिक यौनदुष्कर्म, शारीरिक क्रूरता, अंगभंग, हत्या, एवं हत्या के बाद पुनः यौनदुष्कर्म और शव के साथ माओवादी शैली की क्रूरता ।

सत्ता के संरक्षण में कॉलेज-हॉस्पिटल एवं पुलिस प्रशासन द्वारा घटना के प्रमाणों को नष्ट करने के संगठित प्रयास । अपराध अन्वेषण में पुलिस द्वारा घोर उपेक्षा एवं मिसलीडिंग फ़ाइंडिंग्स द्वारा घटना को उलझाने के निरंतर प्रयास । सच बोलने और न्याय की माँग करने वालों को मारने पीटने और यौनदुष्कर्म की धमकी, प्रदर्शन कर रहे डॉक्टर्स और हॉस्पिटल भवन पर सत्तापोषित हजारों गुंडों की भीड़ द्वारा हिंसक आक्रमण एवं तोड़फोड़ पुलिस कार्यवाही में लापरवाही का आरोप लगाने वालों पर पुलिस द्वारा बदले की कार्यवाही । भाजपा नेता लाकेट चटर्जी को मृतका की पहचान उजागर करने और दो डॉक्टर्स को ऑटोप्सी की रिपोर्ट मीडिया को बताने के आरोप में कोलकाता पुलिस द्वारा प्रेषित सम्मन से पुलिस को भय का वातावरण निर्मित करने और मैटर को डायलूट करने के प्रयासों में सफलता प्राप्त हुयी है । विश्व के इस सर्वाधिक क्रूर एवं हृदयविदारक यौनदुष्कर्म के हाई प्रोफ़ाइल अपराधियों को सत्ता का निर्लज्ज संरक्षण प्रदान करने वाली ममता सरकार विश्व भर में भारत की छवि को कलंकित करने में सफल हुयी है । क्या कोई कल्पना कर सकता है कि अब आगे और कोई निर्भया कांड नहीं होगा ?   

निर्भया (दो-सौ-उनसठ), अनाथ-अल्पवयस्क लड़की के साथ शासकीय कर्मचारियों द्वारा सामूहिक यौनदुष्कर्म, देहरादून (पोस्ट-कोलकाताकांड), सन् २०२४

देहरादून पुलिस ने पाँच अपराधियों को बंदी बना लिया है, पीड़िता की चिकित्सा की जा रही है ।

भारत के न्यायालयों में रातोरात सब कुछ हो सकता है पर कई दशकों में भी यौनदुष्कर्मियों के विरुद्ध की जाने वाले अन्वेषण, परीक्षण और फिर न्यायालयीन कार्यवाहियाँ एक निर्धारित समय में नहीं हो सकतीं । भारत की संसद में क्या नहीं किया जाता है पर विधायिका ऐसा कोई कानून नहीं बना पाती जिसके भय से अब और कोई निर्भया कांड न हो ।

पोस्ट-इफ़ेक्ट :- अब कोई फ़िल्मकार अजमेर दरगाह कांड की तरह कोलकाता कांड पर भी एक फ़िल्म बनायेगा, धनवर्षा होगी, सब कुछ होगा, सब कुछ... इसी तरह, यौनदुश्कर्म भी इसी तरह ।

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