सोमवार, 5 अगस्त 2024

कट्टरवाद के हाथ ब्रिटेन और बांग्लादेश

दुनिया भर के देशों को शताब्दियों तक लूटने, उजाड़ने और विभाजित करने वाला ब्रिटेन आज खुद लुट रहा है, उजड़ रहा है और अपने विभाजन के लिए तैयार हो रहा है।

ब्रिटेन के नौ शहर कट्टरवादी पंथिकहिंसा और अग्निकांड की चपेट में हैं।

ब्रिटेन की सरकारें जिन लोगों का पक्ष लेकर भारत की आलोचना किया करती थीं आज वही लोग ब्रिटेन के लिए समस्या बन चुके हैं। यदि आप अन्याय का समर्थन करते हैं तो एक दिन आपको भी अन्याय से पीड़ित होना ही होगा । शरणार्थी बन कर ब्रिटेन में बसे एशियाई मुसलमान ब्रिटेन को इस्लामिक देश बनाने के लिए खड़े हो चुके हैं।

हिंसा से प्रभावित लोगों के प्रति हमारी संवेदनायें हैं पर अब यूरोप ही नहीं, पूरे विश्व को कट्टरपंथियों से अपने देश को मुक्त करने के लिए गंभीरता से सोचने के लिए एकजुट होना चाहिए।

*भीड़ ने सेना को सौंप दिया बांग्लादेश*

अंततः पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश की सेना के पास भी सत्ता का नियंत्रण आ ही गया । ब्रिटेन के नौ शहरों में हिंसा और अग्निकांड के साथ “अल्लाहू-अकबर” के नारे लगाती विदेशी शरणार्थियों की अनियंत्रित भीड़ को तो हम सब पिछले कुछ दिनों से देखे ही रहे थे कि तब तक बांग्लादेश पर भी भीड़ ने नियंत्रण कर लिया । चुनी हुयी सत्ता निर्वासित हुयी, अनियंत्रित भीड़ की विजय हुयी । जहाँ-तहाँ इस तरह के “एक्स्प्लोसिव क्राउड” के पीछे की कट्टरवादी और विभाजनकारी शक्तियों का परिचय देने की आवश्यकता नहीं है, अब पूरा विश्व इस तरह की अराजकता को भोगने के लिए बाध्य है ।

ऐसी घटनायें भारत में ममता बनर्जी, राकेश टिकैत, अरविंद केजरीवाल और अखिलेश यादव जैसे अतिमहत्वाकांक्षी लोगों को फ़्रांस और बोल्शेविक क्रांति के हिंसक स्वप्नलोक में ले जाने के लिए प्रेरित करती हैं । मोहम्मद-बिन-कासिम, ज़िंघेज खान, तैमूर लंग, ज़हीरुद्दीन मोहम्मद बाबर, बख़्तियार खिलजी, नेपोलियन बोनापार्ट, व्लादिमीर इलिच उल्यानोव लेनिन और माओ जेदांग की सत्तालिप्सा से प्रभावित होने वाले लोगों की परम्परा कभी समाप्त नहीं होगी पर ऐसी शक्तियों को नियंत्रित करने का उत्तरदायित्व हर किसी को वहन करना होगा अन्यथा राकेश टिकैत और अरविंद केजरीवाल जैसे लोग किसी भी दिन दिल्ली-फ़तेह कर लेंगे और कोई कुछ नहीं कर सकेगा ।     

बांग्लादेश की कट्टरपंथी भीड़ ने अपनी प्रधानमंत्री को निर्वासित होने के लिए बाध्य कर दिया, बांग्लादेश को पाकिस्तान के पंजों से मुक्त कराने वाले बंगबंधु शेख मुज़ीबुर्रहमान की मूर्ति को तोड़ दिया और अपने ही देश की सम्पत्ति को क्षतिग्रस्त कर दिया । प्रधानमंत्री आवास में घुसकर भोजन पर टूट पड़ने वाले लोगों ने प्रधानमंत्री की निजी वस्तुओं को लूट लिया और प्रधानमंत्री से जुड़े भवनों में आग लगा दी । ध्यान रहे कि इस भीड़ के पीछे चीन और पाकिस्तान ही नहीं कट्टरवादी “जमायते इस्लाम” की भी शक्ति है । 

आज की किशोर पीढ़ी ने कम आयु में ही वर्षों तक चली सीरिया, ईराक, इरिट्रिया, इथियोपिया, बलूचिस्तान आदि देशों की हिंसक अंतरकलह को देखा और अब यूक्रेन-रूस और इज़्रेल-फिलिस्तीन जैसे वर्षों चलने वाले युद्धों को भी देख रही है।

सावधान! यदि भारत में देशविरोधी शक्तियों को नियंत्रित नहीं किया गया तो लालकिले पर कभी भी एक नये देश का ध्वज लहराते हुये देखा जा सकता है ।

यह संयोग भी हो सकता है कि अभी कुछ ही दिन पहले बांग्लादेश और पश्चिम बंगाल को मिलाकर एक वृहत बांग्लादेश बनाने की चर्चा हो रही थी । ममता बनर्जी एक नये देश की दादा ईदी अमीन बनने के लिये न जाने कबसे उत्साह से भरी बैठी हैं । ईश्वर न करे कि भारत में भी ईराक और बांग्लादेश जैसी कोई घटना हो, किंत्तु यदि कभी ऐसा होता है तो देशविरोधी शक्तियों को नियंत्रित करने में असफलता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को और अराजक तत्वों को प्रोत्साहित करने के लिए वामपंथी न्यायाधीशों को इतिहास में उत्तरदायी माना जाएगा ।

बांग्लादेश की घटना के प्रभाव से आज भारत का शेयर बाजार बुरी तरह लड़खड़ा गया, यद्यपि भारत के शक्तिशाली औद्योगिक अर्थतंत्र के कारण यह स्थिति सप्ताह भर से अधिक नहीं रहेगी तथापि चीन और पाकिस्तान के बांग्लादेश में बढ़ते प्रभुत्व की आशंकाओं से भारत पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को पूरी तरह निरस्त नहीं किया जा सकता । पाकिस्तान बांग्लादेश में कट्टरवाद को स्थापित करना चाहता है जबकि चीन भारत के पड़ोसियों को भारत के विरुद्ध सशक्त करना चाहता है ।

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