मूढ़
गर्भ के प्रसव की पीड़ा से
मुक्ति
मिल गयी है मुझे
आज
चार कविताओं
का
एक साथ
जन्म हुआ है
और मैं
बहुत
हलका महसूस कर रहा हूँ ।
1.
भारत
भीड़-भाड़
वाला
किंतु
अल्पसंख्यकों
से भरपूर लोगों वाला
एक
रहस्यमय देश है ।
बहुत से
समुदाय
जो
भीड़-भाड़ का प्रतिनिधित्व करते हैं
और
वास्तव में अल्पसंख्यक कतई नहीं हैं
वे ही सबसे
अधिक अल्पसंख्यक हैं ।
संख्याओं
का यह प्रस्तुतीकरण
लोकतंत्र
का
काला
जादू है ।
काला
जादू
लोगों को
हैरत में डालता है
दाँतों
तले उँगली दबाने को मज़बूर करता है ।
इस काले
जादू का गणितीय दर्शन
एक
अद्भुत रहस्य है
जिस पर
काले अंग़्रेज़ों का पूरा वर्चस्व है ।
2.
भारत
अद्भुत
देश है ।
यहाँ
ख़तरनाक सपेरे हैं
जिनके
आगे ज़हरीली नागिनें
नाचना
नहीं चाहतीं
फिर भी
नाचती हैं ।
क्योंकि
सपेरे
उनसे भी
अधिक ज़हरीले हैं ।
3.
भारत
एक
हंगामेदार मुल्क है
हंगामा
इसकी फ़ितरत है
हंगामा
इसका अर्थशास्त्र है
हंगामा
इसका दर्शन है
हंगामा
इसकी जान है ।
साधु पर
हंगामा
दस्यु
पर हंगामा
संत पर
हंगामा
दुष्ट
पर हंगामा
राष्ट्रवाद
पर हंगामा
राष्ट्रद्रोह
पर हंगामा
वोट पर
हंगामा
नोट पर
हंगामा
हार पर
हंगामा
जीत पर
हंगामा
कश्मीर
पर हंगामा
तस्वीर
पर हंगामा
पाकिस्तानी
झण्डे पर हंगामा
शिवसेना
के डण्डे पर हंगामा
बेइमान
पर हंगामा
बेइमान नहीं
हैं तो और अधिक हंगामा
हंगामे
पर हंगामा
हंगामा
न हो तो और भी हंगामा
और ...
यह कोई
कविता-अविता नहीं है
हंगामा
है .........सिर्फ़ एक हंगामा
जिससे किसी
की फ़ितरत नहीं बदलती
मुल्क
की तस्वीर नहीं बदलती ।
कई हज़ार
करोड़ के घोटाले पर
सिर्फ़
कुछ लाख का ज़ुर्माना !!!
सिर्फ़
यही तो एक मज़ाक है
जिस पर
कोई हंगामा नहीं होता ।
4.
भारत
सहिष्णु
देश है
यहाँ
बकरी और शेर
एक ही
घाट पर टहलने आते हैं
यहाँ
जंगल का अलिखित संविधान है
जिसमें हर
किसी के लिये जीने-मरने का प्रावधान है
यहाँ
ग़ैरकानूनी कानून पूरी ईमानदारी से लागू किये जाते है ।
यहाँ
शेर ने
वादा किया है
कि वह
बकरी और
उसके बच्चों ...बच्चों के बच्चों ...और उनके भी बच्चों की
हिफ़ाजत
करेगा
और
टैक्स में
ज़्यादा
नहीं
सिर्फ़
थोड़ा सा ग़र्म ख़ून और ज़रा सा मुलायम गोश्त लेगा ।
बकरियाँ
ख़ुश हैं ....बेहद ख़ुश हैं
कि उनकी
जान बख़्श दी गयी है
वे रोज
शेर को
थोड़ा-थोड़ा ख़ून और थोड़ा-थोड़ा गोश्त देती हैं
यह ग़ज़ब
की लोकतांत्रिक व्यवस्था
युगों-युगों
तक चलती रहेगी
इसकी
जड़ें बड़ी पुख़्ता हैं ।
रोज की
तरह आज भी
खोमचे
वाले ने दस रुपये
मोची ने
बीस रुपये
और
भिखारी ने पचास रुपये
दे दिये
हैं
उस
मुच्छाड़िये को
जो ख़ुद को लोकल गवर्नमेण्ट कहता है ।
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