कल विद्युत
विभाग के कर्मचारियों ने पॉवर मैंटीनेंस के नाम पर मेरे प्रिय मित्र पारिजात की निर्मम
हत्या कर दी । खेत में उसका क्षत-विक्षत शरीर देखकर मैं दुःख और रोष से भर उठा । वह
मेरा मित्र था, वह एक बहुत अच्छा डॉक्टर था, वह कन्नौज के इत्र वालों
का कच्चा माल था, वह परिंदों का एक मोहल्ला था, वह क्या नहीं था!
धरती से
आसमान की ओर दस फ़िट ऊपर उठकर अपनी बाहें फैलाते हुये अनजान परिंदों को बुलाकर आश्रय
देने वाले मेरे मित्र से किसी को भला क्या ख़तरा हो सकता था! पारिजात की फैली बाहों
से बिजली के तारों की ऊँचाई अभी भी लगभग पंद्रह फ़िट दूर थी । विद्युत विभाग के कर्मचारियों
ने मुझसे कुछ भी पूछने या सूचना देने की भी आवश्यकता नहीं समझी थी और मेरे खेत में
खड़े मात्र चार साल की उम्र वाले पारिजात की कुल्हाड़ी से काटकर निर्मम हत्या कर दी ।
मुझे मालुम
है कि आज वे तमाम लोग भी मेरी ही तरह बहुत दुःखी होंगे जो कभी धरती पर बिखरे पारिजात
के मदहोश कर देने वाले नन्हें पुष्पों को चुनकर ख़ुश होते रहे होंगे, या जिन्होंने
ज्वर में तपती अपनी बिटिया को उसके पत्तों का रस पिलाकर बिटिया के ज्वर को शांत किया
होगा, या जिन्होंने सियाटिक शूल से पीड़ित और तमाम इलाज़ करवाकर
थक चुकने के बाद पारिजात के पत्तों का रस पिलाकर अपने वृद्ध माता-पिता की पीड़ा को दूर
किया होगा, या जिन्होंने न्यूराइटिस या डायबिटिक न्यूरोपैथी से
पीड़ित किसी व्यक्ति की पीड़ा का शमन पारिजात के पत्रस्वरस पिलाकर किया होगा,
या जिन्होंने एलोपेसिया में पारिजात के बीजों का लेप करके रोग से मुक्ति
पायी होगी… ।
मुझे मालुम
है कि आज आसमान में उड़ते हुये तमाम परिंदों ने जब उन्हें आमंत्रित करने वाले पारिजात
को खेत में धराशायी देखा होगा तो वे कितने दुःखी हुये होंगे!
मुझे मालुम
है कि मेरे मोहल्ले के बच्चों को पारिजात के भीनी ख़ुश्बू वाले नन्हें पुष्प चुनने का
अवसर अब कभी नहीं मिलेगा ।
मेरा आत्मीय
मित्र पारिजात यानी परिंदों को आश्रय देने के लिए सदा तत्पर रहने वाला, हरसिंगार
यानी विष्णु की पूजा और श्रंगार के लिये पुष्प देने वाला, नाइट
ज़ास्मीन यानी रात में अपनी भीनी सुगंध से पूरे मोहल्ले को सराबोर कर देने वाला,
निक्टेंथस अर्बोरट्रिस्टिस यानी रात में चुपके से नारंगी बिंदी वाले
सफेद फूलों को धरती पर बिखेर देने वाला हम सबका प्रिय मित्र अब हमारे बीच नहीं रहा
। मुझे नहीं पता कि विद्युत विभाग के कर्मचारियों को इस तरह की स्वेच्छाचारिता और किसी
मेडीसिनल प्लांट की निर्मम हत्या कर देने की खुली छूट किसने दी है ?
कल मेरे
मित्र की हत्या की शोकसभा है । कल मैं अपने खेत पर अपने प्रिय मित्र के क्षत-विक्षत
शरीर के पास बैठकर उसकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करूँगा ।
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