शनिवार, 17 अक्तूबर 2020

आंदोलन – विकास के लिए नहीं, पिछड़ने के लिए...

आंदोलन होते हैं, आग लगायी जाती है, चक्का जाम किया जाता है, मारपीट होती है, गोलियाँ चलती हैं ...आंदोलनकारियों की माँग़ होती है कि उन्हें भी पिछड़ा, दलित, अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति में शामिल कर लिया जाना चाहिये ..क्योंकि आगे न बढ़कर केवल पीछे जाना उनका अधिकार है । कोपीनधारी और भिक्षुकवृत्ति विप्र विस्मित है ...जाट, गुर्जर, यदु जैसे न जाने कितने राजवंश के लोग आरक्षित होना चाहते हैं, सरकार की बैसाखियों पर चलने के लिए अपनी टाँगें लोड़ देने की गुहार कर रहे हैं ...उन्हें हर हाल में आरक्षण चाहिये । 

स्वाधीन भारत में आंदोलन होते हैं क्योंकि जाटों को आरक्षण चाहिये, पटेलों को आरक्षण चाहिये, गुर्जरों को आरक्षण चाहिये... सबको आरक्षण चाहिये । आंदोलन में क्रांति की धुन होती है, जनधन की हानि होती है, हम आगे बढ़ने के लिए नहीं बल्कि पीछे जाने के लिए आंदोलन कर रहे हैं । हमें आरक्षण के बल पर सरकारी नौकरी चाहिये, कर्ज़ माफ़ी चाहिये, मुकदमे हटाये जाने चाहिये ...हमें सारी सुविधायें चाहिये ...आरक्षण की योग्यता पर ।

भरतपुर के नीरज गुर्जर शिक्षित नेता हैं, कैमरे के सामने अंग्रेज़ी में बोलकर अपनी योग्यता को फ़ोर्टीफ़ाइड करके पेश करने में दक्ष हैं और चाहते हैं कि सरकार उनके ऊपर पिछड़े होने की मोहर लगा दे । भारत के लोग अद्भुत हैं । राजवंश के लोग प्रजावंश के उत्तराधिकारी बन जाने के लिए अधीर हो रहे हैं । उन्हें संसद और विधान सभा की आरक्षण वाली सीट से टिकट भी चाहिये ....यानी राजवंश के लोगों को राजवंश में पुनः प्रवेश के लिए आरक्षण की बैसाखी चाहिये ।  

सरकार आरक्षण समाप्त नहीं कर सकती किंतु सरकारी संस्थान समाप्त कर सकती है । मोतीहारी वाले मिसिर जी सरकारी संस्थानों के निजीकरण का समर्थन करने लगे हैं ....क्योंकि इससे उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ने की सुनिश्चितता है ....और इसलिए भी कि तब सरकारी नौकरियों के अवसर और भी कम हो जायेंगे और निजी संस्थानों में नौकरियों के लिए लोगों को आरक्षण की योग्यता से मोहभंग हो जायेगा ।

 

सरकारी कम्पनियों का निजीकरण...

बस्तर में भी निजीकरण का विरोध हो रहा है क्योंकि नगरनार प्लांट से सरकार अपनी हिस्सेदारी समाप्त कर रही है ।

कई सरकारी बैंक निजी किए जा चुके हैं । मुम्बई का एक पोर्ट अदाणी समूह ने ख़रीद लिया है और रेलवे में निजी क्षेत्रों की हिस्सेदारी बढ़ रही है । अव्यवस्था और घाटे के केंद्र बन चुके सरकारी संस्थान समाप्त होने की चर्चा से ही आरक्षणप्रेमी लोग परेशान होने लगते हैं, वे चाहते हैं कि घाटे में रहने वाले सभी सरकारी संस्थान बने रहने चाहिये ।

सरकारी कम्पनियों के शेयर्स से दूर रहने की सलाह पर शेयर मार्केट के दलालों की मोहर सरकारी कार्यप्रणाली की वह जन्मकुण्डली है जिसका अध्ययन हमें दुःखी और निराश करता है ।

पाकिस्तान के डेढ़ सौ फ़ाइटर जेट तबाही मचायेंगे आर्मीनिया में...

टर्की, पाकिस्तान और ईरान वह तिकड़ी है जो केवल इस्लाम के नाम पर एकजुट होकर आर्मीनिया को तबाह कर देने के लिए परमाणुशक्ति का प्रयोग करने से भी नहीं हिचकने वाली । भारत के जम्मू-काश्मीर को नागोर्नो-क़ाराबाख़ बना देने के लिए व्याकुल फ़ारुख़ अब्दुल्ला नामक एक आदमी तो पहले ही कह चुका है कि पाकिस्तान ने एटम बम ईद पर चलाने के लिए नहीं बना रखे हैं ।           


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