भारत का
सर्वोच्च न्यायालय फ़ारुख़ अब्दुल्ला को भारत से पृथक होकर कश्मीर को एक नया देश
बनाने के लिये चीन (और किसी भी शत्रु देश) का सहयोग लेने की अभिव्यक्ति को
न्यायपूर्ण मानता है । अर्थात भारत का सर्वोच्च न्यायालय भारत के संविधान को
नकारने और सम्प्रभु देश की अखण्डता को चुनौती देने के लिये शत्रु राष्ट्र से सहयोग
लेने के प्रयासों के लिये भारतीय नागरिकों को अनुमति प्रदान करता है । अर्थात भारत
का सर्वोच्च न्यायालय भारत के नागरिकों को भारत से विद्रोह करने और एक नया राष्ट्र
बनाने के लिये प्रयास करने की अनुमति प्रदान करता है ।
सबय
भूमि गोपाल की, जिसको जितनी चाहिये, लूटि-लूटि लइ जाय । भारत भाग्य
विधाता की जय हो! विद्रोह स्थापित हुआ... विद्रोही सम्मानित हुआ । हम धन्य हुये ।
आर्यावर्त्त धन्य हुआ । न्याय धन्य हुआ । तभी तो पिछले 2500 सालों में आर्यावर्त(भारत)
का कम से कम तेरह बार विभाजन हुआ जिसके परिणामस्वरूप मलयदेश (मलेशिया), द्वीपांतर भारत (इण्डोनेशिया), स्याम (थाइलैण्ड),
चम्पादेश (वियेतनाम), कम्बोज (कम्बोडिया),
उपगणस्थान (अफ़गानिस्तान), देवधरा (नेपाल),
भू-उत्थान (भूटान), त्रिविष्टम (तिब्बत),
ताम्रपर्णी (श्रीलंका, सिंहलद्वीप, सीलोन), ब्रह्मदेश (म्याँमार, ब्रह्मा),
पांचाल (पाकिस्तान) और बंग (बांग्लादेश) आदि भारत के अविभाज्य भाग स्वतंत्र देश के रूप
में अस्तित्व में आते गये और हम धन्य होते गये ।
1857
में भारत का क्षेत्र 83 लाख वर्गकिलोमीटर हुआ करता था, जो अब
3287263 वर्ग किलोमीटर रह गया है । अर्थात बिना खड्ग बिना ढाल हमें आज़ादी की कीमत
चुकानी पड़ी है लगभग पचास लाख वर्गकिलोमीटर भूमि । अर्थात लगभग तेंतीस रुपये बचाने
के लिये हमें पचास रुपये की कीमत चुकानी पड़ी है । जय हो जय हो भारत भाग्य विधाता ।
26 मई
1879 में रूस और ब्रिटेन के बीच एक गण्डमक ट्रीटी हुई थी जिसके बाद अफ़गानिस्तान को
एक पृथक देश के रूप में भारत से अलग कर दिया गया । अर्थात भारत की यहाँ पर एक
नकारात्मक भूमिका रही ।
1904
में नेपाल को पृथक किया गया किंतु 1951 में नेपाल नरेश त्रिभुवन सिंह ने हमारे बच्चों
के चाचा से नेपाल को भारत में सम्मिलित किये जाने का अनुरोध किया । हमारे चचाजान
को एक हिंदू राजा का यह प्रस्ताव पसंद नहीं आया और उन्होंने यह प्रस्ताव अस्वीकार
कर दिया । अब नेपाल हमसे कोई अनुरोध नहीं करता बल्कि हमें आँख दिखाता है और
गाहे-ब-गाहे गोली चलाने से भी नहीं चूकता । कल पीलीभीत जिले के एक युवक को नेपाल
पुलिस ने गोली मार दी, दो युवक लापता हैं, भारत सरकार नेपाल से बात कर रही
है । जय हो भारत भाग्य विधाता ।
1906
में भूटान को एक पृथक देश के रूप में अस्तित्व में लाया गया ।
1907
में चीन और ब्रिटेन के बीच हुयी संधि में तिब्बत के दो हिस्से किये गये एक हिस्सा
चीन को दिया गया और दूसरा हिस्सा लामा को । दलाई लामा को तिब्बत की स्वायत्तता के
लिये निर्वासित होना पड़ा, उधर 1954 में हमारे बच्चों के स्वयम्भू चचाजान ने पूरे तिब्बत को चीन का
हिस्सा स्वीकार कर लिया ।
1935
में सिंहलद्वीप को अलग करके श्रीलंका बना दिया गया ।
1937
में म्याँमार (बर्मा, ब्रह्मदेश) को पृथक किया गया जबकि 1947 में पाकिस्तान और फिर 1971 में
बांग्लादेश को भारत की मुख्य भूमि से पृथक किया गया ।
निश्चित
ही हम भारतीय पिछले अढ़ाई सौ सालों से राष्ट्रीय एकता,
सामाजिक एकजुटता और आर्यावर्त की अखण्डता बनाये रखने में बुरी तरह असफल होते रहे
हैं । असफलता का यह क्रम अभी भी थमा नहीं है । खालिस्तान के बाद इस वर्ष केरल और
बंगाल को भी भारत से पृथक करने की माँगें उठने लगी हैं । क्या भारत अब अपने एक और
बिखराव के नये फ़ेज़ की ओर कदम बढ़ा रहा है?
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