भारत के
प्रधानमंत्री की हाल में हुयी बांग्लादेश यात्रा के कुछ दिन पूर्व ही बांग्लादेश
के एक हिंदू गाँव के कई घरों को उजाड़ दिया गया था । हम प्रतीक्षा कर रहे थे
कि शायद प्रधानमंत्री का इस सम्बंध में कोई वक्तव्य आयेगा, जो
नहीं आया । पश्चिम बंगाल में चुनाव हो रहे हैं और बांग्लादेश में हिंदुओं के
उत्पीड़न की बात करके कोई भी राजनीतिज्ञ अपने लिये कोई मुश्किल नहीं खड़ी करना चाहता
। अर्थात हिंदू उत्पीड़न की बात करना भारत के राजनीतिज्ञों के लिये एक ज़ोखिम भरा
काम है । यह बात भारत और पूरी दुनिया भर के हिंदुओं को अच्छी तरह समझ लेना चाहिये
।
फ़्रांस
में इस्लाम को लेकर कुछ होता है तो भारत में आग लग जाती है, भारत
सहित बांग्लादेश और पाकिस्तान में हिंदुओं को लेकर कुछ होता है तो भारत में ख़ामोशी
छायी रहती है । अभी चंद दिन पहले ही पाकिस्तान के सिंध में मौलाना मियाँमिट्ठू ने
एक सिंधी लड़की का ज़बरन धर्म परिवर्तन कराया तो भारत के तमाशबीन तमाशा देखते रहे ।
और अब बांग्लादेश के एक हिंदू गाँव में पचास घरों को तबाह कर दिया गया तो एक बार
फिर भारतीय तमाशबीनों को तमाशा देखने का मौका मिल गया ।
जिस
बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिये भारतीय सैनिकों ने अपना ख़ून बहाया उसी बांग्लादेश
के सुनामगंज जिले के शल्लाह उपजिले के नौगाँव में 17 मार्च की सुबह लगभग 8 बजे हिफ़ाज़त-ए-इस्लाम
के हजारों हिफ़ाज़तियों ने हिंदुओं के लगभग 50 घरों में तोड़फोड़ और लूटमार की ।
नौगाँव के आसपास के तीन-चार गाँवों से हिफ़ाज़तियों को एकत्र किया गया और एक हिंदू
युवक की फ़ेसबुक पोस्ट का विरोध करते हुये घरों को तबाह कर दिया । भारतीय मीडिया
नौगाँव की इस घटना पर ख़ामोश रही, चुनाव का जो मौसम आया हुआ है
न! डॉ. तस्लीमा नसरीन न होतीं तो हमें भी कुछ पता नहीं चलता । तस्लीमा को धार्मिक
उत्पीड़न की ऐसी घटनाओं से चोट लगती है तो भारत के हिंदू लोग भी उनके ट्विटर
अकाउण्ट पर उन्हें निहायत अश्लील गालियों से सराबोर कर देते हैं । कुल मिलाकर धरती
पर केवल इस्लाम ही रहेगा, दीगर धर्म के लोग नहीं, यह संदेश सबको अच्छी तरह समझ लेना चाहिये ।
भारत के
धर्मनिरपेक्ष हंगामेदार भी हिंदुओं की तबाही के प्रकरणों पर गज़ब की ख़ामोशी
अख़्तियार कर लिया करते हैं । यूँ बांग्लादेश की पुलिस ने इस घटना में लगभग दो
दर्ज़न लोगों को ग़िरफ़्तार कर लिया है किंतु सवाल यह है कि यह ग़िरफ़्तारी भारतीय
प्रधानमंत्री के लिये एक प्रदर्शन भर है या सचमुच ऐसी घटनाओं पर वास्तविक अंकुश
लगाने की इच्छाशक्ति का प्रदर्शन भी?
कुल मिलाकर धरती पर केवल इस्लाम ही रहेगा, दीगर धर्म के लोग नहीं, यह संदेश सबको अच्छी तरह समझ लेना चाहिये ।बेबाक लिखा है ... हिन्दू स्वयं ही हिन्दुओं का दुश्मन बना बैठा है ...
जवाब देंहटाएंविचारणीय बात .
कुल मिलाकर बात यह है कि दुनिया से संप्रदायों को मिटाना होगा। एक धर्म इंसानियत को अपनाना होगा। और यह कभी संभव नहीं है। भारत हो या कोई भी देश सब जगह राजनीति का परिणाम है। पूरी दुनिया मुस्लिम धर्म अपना लेगी तब उपजातियों के बीच हिंसा होगी। मामला धर्म का नहीं, राजनीतिक वर्चस्व का है। अभी तो हमारे प्रधानमंत्री जी हिन्दुओं के पक्षधर हैं, फिर वे ख़ामोश क्यों? इसलिए अब धर्म जाति नहीं सिर्फ़ राजनीति है, यह पूरी दुनिया समझ ले तो शायद दुनिया में थोड़ी शांति आ सकती है।
जवाब देंहटाएंआपने तात्विक बात की है किंतु यहाँ तो मामला दुनियादारी का है जहाँ धर्म का उद्देश्य ही बिकुल अलग है । संप्रदाय और धर्म आम आदमी की नहीं राजनीतिज्ञों की आवश्यकतायें हैं । आसुरी शक्तियाँ सदा रही हैं , सदा रहेंगी । भारत में जब केवल आर्य थे तब भी युद्ध और अराजकता से कोई मुक्त नहीं था । आम आदमी की ज़रूरतें पूरी दुनिया में एक सी हैं किंतु राजनीतिज्ञों ने उनकी ज़रूरतों और आदर्शों में बँटवारा कर दिया है । धार्मिक ध्रुवीकरण वस्तुतः वैचारिक ध्रुवीकरण है । जब असुर लामबंद होते हैं तो सुरों को भी लामबंद होने की विवशता हो जाया करती है । यह सब चलता रहेगा... जबतक कि लोग मनुष्य के प्राकृत धर्म को हृदय से स्वीकार नहीं कर लेते ।
हटाएंनीमन टिप्पनी खातिर दिदिया के धन्यवाद करतनी ।
हमार टिप्पणी अपने के पसंद भेल, हमरा खुसी लागल। ऐसहीं लिखइत रहू, दिदिया के ओरी से बहुते आसीरवाद।
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