अस्तित्व
जहाँ
जिज्ञासा है
वहाँ हठ
नहीं हो सकता
और जहाँ
हठ है
वहाँ
जिज्ञासा का क्या काम!
अधार्मिक
नहीं हो तुम
क्रिटिसिज़्म
तुम्हारा धर्म है
कर्मकाण्ड
से मुक्त नहीं हो तुम
भौतिक
विश्लेषण तुम्हारा कर्मकाण्ड है
और इस
सबसे अद्भुत है
तुम्हारी
विज्ञानविहीन वैज्ञानिकता
इसलिये
तुम्हें
प्रमाण चाहिये
अनादि
के आदि का
अनंत के
अंत का
निराकार
के आकार का...
अद्भुत
है तुम्हारी जिज्ञासा
तुम
खोजते हो प्रकाश में अंधकार को
नहीं
मिलता
तो लगाते
हो प्रश्नचिन्ह
ईश्वर
की सत्ता पर ।
सुनो
मायावी!
हाथ धो
कर पीछे पड़ गये हो तुम
जिस
ईश्वर के
उसका
कहीं कोई भौतिक अस्तित्व नहीं है ।
2-
कॉमरेड
लेकर
अपने साथ
संदेहों
की गठरी में
अपने
प्रश्नों के उत्तर
साधिकार
चलते
रहे हो तुम
पसंद
कैसे
आयेंगे तुम्हें
हमारे
दिये उत्तर ।
बहुत खूब ..जहाँ संदेह वहां उत्तर से कैसे संतोष होगा ?
जवाब देंहटाएंजी! धन्यवाद!
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