फ़्री की सुविधाओं, कर्ज़माफ़ी, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन से जनता को सुख पहुँचाने वाला अमीर देश वेनेज़ुएला अब कंगाल हो चुका है । भारत के लोगों को भी फ़्री लैपटॉप, फ़्री साइकिल, फ़्री शादी, फ़्री मकान, फ़्री गैस, फ़्री यात्रा-पास, फ़्री वैक्सीन, फ़्री अनाज, फ़्री गुड़, फ़्री साड़ी-कम्बल, फ़्री की एक पाव दारू, सबसिडी और कर्ज़माफ़ी की लत पड़ चुकी है । भारत की प्रजा इस तरह की फ़्री सुविधाओं से ख़ुश है । बधाई हो, भारत भी वेनेज़ुएला हो जाने की दिशा में निरंतर अग्रसर है ।
हम लोग
जुगाड़ू हैं, जिस दिन हम भी वेनेज़ुएला की तरह कंगाल हो जायेंगे उसी दिन या तो हम
मैक्सिको बन जायेंगे या फिर अफ़गानिस्तान । दोनों देशों में बहुत से ग़रीब लोग ड्रग्स
के सहारे जिये जा रहे हैं । हम अफ़गानियों की तरह अपने घर के पीछे अफ़ीम बोयेंगे,
हमेशा पिन्नक में पड़े रहेंगे, रोटी के लिये
अपने बच्चों को बेच देंगे, मौज ही मौज होगी । हमें कुटीर
उद्योग नहीं, सरकारी नौकरी चाहिये । हमें मेहनत की रोटी नहीं, फ़्री में सब कुछ चाहिये । हमने पिछले कई दशकों से निकम्मेपन की फसलें
बोयी हैं, ज़ल्दी ही हम फसल काटेंगे... वेनेज़ुएला की तरह ।
भारत की
प्रजा को ऐसा राजा चाहिये जो उसे सब कुछ फ़्री में देता रहे । इन विषाक्त सुविधाओं
के मोह से भारत की प्रजा को मुक्त होने की तनिक भी इच्छा नहीं है । फ़्री सुविधाओं
के विरोध में किसी जन-आंदोलन की बात तो सोची भी नहीं जा सकती । मैं प्रतीक्षा कर
रहा हूँ उस दिन की जिस दिन कोई हिज़ाब वाली इस देश की प्रधानमंत्री बनेगी और भारत
में चारो ओर जन्नत ही जन्नत ही होगी ।
लूट सके
जो लूट
भारत को
कोई भी लूटकर विदेश भाग सकता है, बहुत मुश्किल नहीं है यह काम
। यहाँ की बैंक्स बिना पर्याप्त गारंटी के बहुत अमीर लोगों को कर्ज़ा देने में कुशल
हैं । बैंक लुटेरे विजय माल्या और नीरव मोदी के बाद अब एक और एबीजी. शिपिंग कम्पनी
ने कुछ बैंक्स को बुरी तरह लूट लिया । हजारों करोड़ की लूट का यह काँड सन 2012 से
2017 तक चलता रहा जिसके विरुद्ध 2022 में रिपोर्ट दर्ज़ की गयी । रिपोर्ट पर जाँच
संस्थित की जायेगी जो तब तक चलेगी जब तक कर्ज़दार मर नहीं जायेंगे, इस बीच कुछ नयी पीढ़ियाँ जन्म ले चुकी होंगी जिन्हें कभी कुछ पता नहीं
चलेगा ।
बैंक
में ग़रीब आदमी पैसा रखता है, अमीर आदमी अपना पैसा धंधे में
लगाता है, यानी बैंक्स ने गरीबों का पैसा अमीरों को दे दिया
। ऐसी घटनायें बारम्बार होती हैं, किसी पर कोई नियंत्रण नहीं
। चूँकि कोई बैंक इन अमीर कर्ज़दारों से कोई गारण्टी नहीं लेता इसलिये कोई बैंक
किसी ग़रीब आदमी को भी बैंक में जमा उसके पैसे की कोई गारण्टी नहीं देता । अब अपना
पैसा बैंक में रखना ख़तरनाक हो गया है, धंधे में लगाओ या फिर
जमीन में गाड़कर रखो, पुराने सेठों और राजाओं की तरह ।
सावधान!
बैंक्स आपकी जमाराशि के लिये उत्तरदायी नहीं हैं । बाकी आपकी इच्छा ।
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