रविवार, 27 फ़रवरी 2022

बात ही करनी होगी

         यूक्रेन को एक बार फिर चने के झाड़ पर चढ़ाने के लिये पश्चिमी देश आगे आने लगे हैं; कोई यूक्रेन को तेल दे रहा है, कोई पैसे दे रहा है तो कोई हथियार । युद्ध और बढ़े, विनाश और हो... इसके लिये लोग लामबंद होने लगे हैं । कोई नहीं चाहता कि युद्ध यथाशीघ्र समाप्त हो ।

कीव में स्ट्रीट फ़ाइट

ज़ेलेंस्की ने रूसी सेना का सामना करने के लिये कीव के नागरिकों से आह्वान किया है कि वे अपने घरों की खिड़कियों से ही रूसी सैनिकों पर आक्रमण करें । भावनात्मक दृष्टि से यह बात अच्छी लग सकती है किंतु सामरिक दृष्टि से यह आत्मघाती आह्वान रूसी सैनिकों को यूक्रेनी घरों पर आक्रमण के लिये आमंत्रित करने वाला है । युद्ध में हठ का नहीं अवसर का महत्व होता है । स्ट्रीट फ़ाइट से ऐसे युद्ध नहीं जीते जाते ।

नाटो देशों ने प्रारम्भ से ही युद्ध की आग को धधकाने का काम किया है, और अब नाटो देशों द्वारा यूक्रेन को हथियार देकर युद्ध को समाप्त करने की अपेक्षा उसे और भी विनाशक बनाने की तैयारी प्रारम्भ कर दी गयी है ।

किंतु हर युद्ध को कभी तो समाप्त होना ही होता है, वार्ता फिर भी करनी ही होगी । अभी तक कोई सार्थक वार्ता नहीं हो सकी इसलिये युद्ध हुआ, युद्ध से वार्ता की स्थितियाँ निर्मित की जा रही हैं । यानी, युद्ध एक दबाव है कि वैसे नहीं तो ऐसे ही वार्ता करो । क्या युद्ध के अतिरिक्त और कोई दबाव ऐसा नहीं हो सकता जिससे दोनों देश वार्ता के लिये तैयार हो जायँ! आज भारत सहित अन्य गुटनिरपेक्ष देशों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गयी है । युद्ध तुरंत समाप्त होना चाहिये ।

War is not the solution; it was never and would be never. Ultimately you have to come on the table of peace for dialogs. Peace can never be enforced through war and destruction.

Please! Stop the war for innocent lives, not only of humans but of birds, animals and other innocent small creatures too.

3 टिप्‍पणियां:

  1. हर युद्ध को कभी तो समाप्त होना ही होता है, वार्ता फिर भी करनी ही होगी । अभी तक कोई सार्थक वार्ता नहीं हो सकी इसलिये युद्ध हुआ, युद्ध से वार्ता की स्थितियाँ निर्मित की जा रही हैं
    सादर..

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  2. हर युद्ध को कभी तो समाप्त होना ही होता है, वार्ता फिर भी करनी ही होगी । अभी तक कोई सार्थक वार्ता नहीं हो सकी इसलिये युद्ध हुआ--यही है युद्ध की कड़वी सच्चाई डॉक्टर साहब।युद्ध खामियाजा वातानुकूलित कमरों में बैठे कुटिल राजनयिक नहीं भुगतते बल्कि निर्दोष सैनिक और निरपराध जनता भुगतती है।बहुत दर्दनाक है युद्ध की सच्चाई। प्रार्थना है युक्रेन-रुस युद्ध जल्द से जल्द समाप्त हो।

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टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.