शनिवार, 26 फ़रवरी 2022

जोकर, ज़ेलेंस्की और राष्ट्रनायक

मेरा नाम जोकर... 

“आप मुझे अंतिम बार जीवित देख पा रहे हैं” –ज़ेलेंस्की ।

“मैं कीव छोड़कर कहीं नहीं जाऊँगा, और अंतिम क्षणों तक रूस का सामना करूँगा”- ज़ेलेंस्की ।

युद्ध की पल-पल बदलती परिस्थितियों में आज हम भारत के चिरशत्रु पाकिस्तान के समर्थक रहे यूक्रेन के राष्ट्रपति की प्रशंसा करने से स्वयं को नहीं रोक पा रहे हैं । राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का यह कहकर परिहास किया जाता रहा कि एक कॉमेडियन को राष्ट्रपति बनाने का परिणाम यूक्रेन की जनता को भोगना पड़ रहा है ।

मैं मानता हूँ कि एक कॉमेडियन अन्य लोगों की अपेक्षा कहीं अधिक सच्चा, संवेदनशील और गम्भीर होता है; वह संवेदनशीलता, गम्भीरता, पीड़ा और विकृतियों का हास्यानुवाद करने में दक्ष होता है । उसकी यह दक्षता ही उसे अन्य लोगों से विशेष बनाती है । कल तक, जब ज़ेलेंस्की आम नागरिकों से रूस की प्रशिक्षित सेना के विरुद्ध हथियार उठाने का आह्वान कर रहे थे तो मुझे भी बहुत अज़ीब सा लगा था किंतु जब चने के झाड़ पर चढ़ने के बाद कॉमेडियन ज़ेलेंस्की को अपने पीछे कहीं कोई दिखायी नहीं दिया तो उनका पौरुष जाग्रत हुआ । आज जब “आल टाइम” विश्वासघाती अमेरिका ने कहा कि वह यूक्रेनी राष्ट्रपति को कीव से सुरक्षित बाहर निकालने के लिये तैयार है तो राष्ट्रपति ने चने के झाड़ से नीचे उतर कर वाइडन को जो उत्तर दिया वह एक गम्भीर और संबेदनशील नायक ही दे सकता है । भारत के प्रति यूक्रेन का व्यवहार कभी मित्रता का नहीं रहा किंतु आज हम यूक्रेनी राष्ट्रपति की प्रशंसा करने के लिये बाध्य हुये हैं । राष्ट्रनायक के रूप में ज़ेलेंस्की ने विश्व इतिहास में अपना नाम अमर कर लिया है ।    

यूकेन में भारतीय छात्र                        

यूक्रेन में फँसे छात्रों को निकालने के लिये भारत सरकार की ओर से टाटा समूह की इण्डियन एयर लाइंस को हनुमान बनाया गया है, वहीं यूक्रेन में अध्ययनरत एक भारतीय छात्र ने यह बताते हुये कि भारतीय फ़्लाइट्स छात्रों से तीन-चार गुना अधिक किराया ले रही हैं, मोदी से अनुरोध किया है कि सरकार छात्रों से केवल सामान्य उचित किराया ही ले, उससे अधिक नहीं ।

भारत सरकार बारम्बार कह रही है कि यूक्रेन में फँसे सभी छात्रों को भारत लाने का पूरा खर्चा भारत सरकार वहन करेगी और छात्रों से कोई किराया नहीं लिया जा रहा है । मोदी विरोधियों ने यह अवसर लपक लिया और बोले – देखा! हम तो कब से कह रहे हैं कि मोदी झूठा और फेकू है ।

बिच्छू के प्राण संकट में हैं, बाबा ने उसे पानी के भँवर से बाहर निकाला, बाहर आते ही बिच्छू ने स्वभाववश बाबा को डंक मार दिया । भारतीय सनातन परम्परा कहती है कि जब बिच्छू अपना स्वभाव नहीं छोड़ता तो संत क्यों छोड़े! संकट में फँसा मोदी विरोधी छात्र भी दंश मारने से नहीं चूकता जबकि वह चाहता है कि मोदी उसे सुरक्षित वापस निकाल कर उसके घर तक पहुँचाये । दादागीरी हो तो ऐसी ।

कोई किसी का नहीं है बंदे

लगे हाथ ताइवान पर आक्रमण के लिये चीन का भी मूड बन रहा है । तवा गरम है, यह सोचकर भारत के विरुद्ध कोई बड़ा षड्यंत्र करने के लिये पाकिस्तान का भी मूड बन रहा है ।

भारत की जनता ने सोशल मीडिया पर मोदी को संदेसा भेजा है– कोई किसी का नहीं है बंदे, लगे हाथ तू ले ले पीओके ।

न नाटो किसी का, न अमेरिका किसी का, सब मतलब के साथी हैं ।        

यही तो रीत है, पतझड़ के मौसम में सारे पुराने पत्ते झड़ जाते हैं, फिर निकलती हैं नयी कोपलें ।

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