सोमवार, 6 मई 2024

राष्ट्रधर्म

            सनातनराष्ट्र की रक्षा ही जिनके लिये सर्वोपरि धर्म रहा उन्हीं राजपूतों के एक संगठन ने भाजपा को हराने की शपथ लेकर स्पष्ट कर दिया है कि वे उन राजनीतिक दलों के साथ खड़े हैं जिन्हें न राष्ट्र की कोई समझ है और न किसी धर्म की । राजपूतों का यह संगठन उन लोगों के साथ खड़ा हो गया है जिनके पूर्वजों ने लोकतंत्र की हत्या करके स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, अपनी मान्यताओं और सुविधाओं के लिये संविधान में इतनी बार परिवर्तन किये कि संविधान उन लोगों की स्वार्थपूर्ति का माध्यम बन कर रह गया जो देश के विभाजन के लिये उत्तरदायी थे । उनकी रीतियों-नीतियों ने बहुसंख्यक सनातनी हिन्दुओं को भारत के द्वितीय श्रेणी के नागरिक बना कर रख दिया जिससे बहुसंख्यक वर्ग के लोग बेचारे बनकर रह गये । आज हिन्दू अपने ही देश में भयभीत होकर रहने के लिये विवश है । यह कैसा संविधान है जिसके होते हुये भी आज किसी हिन्दू का सर तन से जुदा करने का फतवा निकाल दिया जाता है, किसी हिन्दू स्त्री (नूपुर शर्मा) के साथ यौनहिंसा करने की खुलेआम घोषणा कर दी जाती है, किसी भी हिन्दू की सरेआम हत्या कर दी जाती है, किसी भी हिन्दू लड़की को निकाह या यौनशोषण के लिए उठा लिया जाता है, कहीं भी राष्ट्रीय और निजी सम्पत्तियों को आग लगा दी जाती है।

            ऐसा क्यों हुआ कि भारतविभाजन के लिये वोट करने वाले लोग भारत में ही बस गये और अब वही लोग पूरे भारत को इस्लामिक मुल्क बना देने के लिये तैयार हो चुके हैं। सोचिये! साम्प्रदायिक हिंसाओं और सैनिकों पर आक्रमण करने के स्थान पर यदि हम सब केवल देश के विकास के लिए काम करते तो आज हम विश्व की सर्वश्रेष्ठ अर्थव्यवस्था के स्वामी होते, किंतु दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हो सका। हमारी जो ऊर्जा और धन देश के विकास में लगना चाहिये था वह दंगों और आतंकी आक्रमणों से जूझने में व्यय हो रहा है।

            हम सब जानते हैं कि मँहगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के लिये हम सब भी उतने ही दोषी और उत्तरदायी हैं जितने कि राजनेता। हाँ! यही सच है, इसलिये यह रोना मत रोइये, तुम जिस दिन चाहोगे उसी दिन से यह सब समाप्त हो जायेगा। भारत में रामराज्य लाने की इच्छाशक्ति हम लोगों में ही नहीं है। हम सब निजी स्वार्थों के लिये अवसरों की तलाश में रहते हैं, भूखे भेड़ियों की तरह। किंतु... अब स्थितियाँ बहुत विषम हो चुकी हैं। क्या आप भारत को पाकिस्तान बना देना चाहते हैं? क्या आप उन सनातन मूल्यों और आदर्शों की बलि चढ़ा देने के लिये तैयार हैं जिनकी प्रशंसा पूरा विश्व करता रहा है?

            आज सुबह शेयर बाजार ऊपर उठकर खुलने वाला था पर ऐसा नहीं हुआ, जानते हैं क्यों? महाराष्ट्र से समाचार आया कि वहाँ भाजपा के विरोधी प्रबल हो रहे हैं। समाचार सुनते ही लोगों में घबराहट फैल गयी कि यदि मोदी दोबारा सत्ता में नहीं आये तो यह देश बिक जायेगा। दूसरी ओर ब्रिटेन में ऋषि सुनक की कंजरवेटिव पार्टी के सामने मुस्लिम बहुल लेबर पार्टी भारी पड़ने लगी है। बस इसी घबराहट में भारतीय और विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में बिकवाली शुरू कर दी। आप कहेंगे कि आपको शेयर बाजार से क्या लेना देना! यह शेयर बाजार ही है जो किसी भी देश के अर्थतंत्र की औद्योगिक साँस है और देश की आर्थिक दिशा को समृद्धि की ओर ले जाता है।

                देश के नेता को जाति-धर्म से ऊपर उठकर सर्वकल्याण की भावना से काम करना चहिये। सनातन आदर्शों का यह एक मुख्य मंत्र है । किंतु दुर्भाग्य से अल्पसंख्यक ग़ैर हिन्दू ऐसा नहीं सोचते । उन्हें अपने लिए एक ऐसा राष्ट्र चाहिये जहाँ हर काफिर उनका दास बनकर रह सके । हिन्दूराष्ट्र की व्यवस्था में इस तरह की कभी कोई संकीर्णता नहीं रही, आगे भी नहीं रहेगी, किंतु तब इसके लिए यह आवश्यक है कि हम सब हिन्दू और उनकी विभिन्न शाखाओं के लोग संगठित हों और विश्व में एक हिन्दूराष्ट्र की स्थापना करें जहाँ हिन्दू निर्भय होकर अपनी सनातनी मान्यताओं और मूल्यों के साथ रह सकें, …जहाँ मुसलमान, ईसाई और पारसी भी अपनी-अपनी मान्यताओं के साथ राष्ट्रीय उत्थान के भागी बन सकें न कि साम्प्रदायिक हिंसा से देश को कलंकित करें और दूसरों के अस्तित्व को ही समाप्त करने वाले कृत्य करें!

                हमारी चिंता में जातिगत संकीर्णता का कोई स्थान नहीं होना चाहिये । हम सवर्णों, पिछड़ों, दलितों या वनवासियों आदि की बात करने के स्थान पर मनुष्य और वंचित की बात क्यों नहीं करते? हमारी चिंता इन संकीर्णताओं के स्थान पर केवल उन मूल्यों के लिए है जो उदार हैं, जो सर्वग्राही हैं, जो सहिष्णु हैं और जो सर्वे भवंतु सुखिनः के सिद्धांत के साथ सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखते हैं। हमें स्वामी विवेकानंद और बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के चिंतन के अनुरूप इस देश को बनाने के लिए मतदान से पहले इन सभी बातों पर विचार करना ही होगा।     

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