स्त्री शोषण के विरुद्ध किसी पीड़िता स्त्री को न्याय के लिये खुलकर सामने आने का भाषण देना कितना सरल होता है और सामने आना कितना दुश्कर, इसका ज्वलंत उदाहरण है “मुख्यमंत्री के राजप्रसाद में अपनी पिटायी पर स्वाति मालीवाल का मौन”।
वैशाख शुक्ल सप्तमी, दिन मंगलवार को पुष्य नक्षत्र में जमानती मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के
राजप्रासाद में उनकी उपस्थिति में ही महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान
राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल को बुरी तरह पीट दिया गया। पीटने वाले थे
मुख्यमंत्री के मित्र निजी सचिव विभव कुमार।
मालीवाल ने अपने उत्पीड़न को लेकर पुलिस को कोई परिवाद लिख कर
नहीं दिया। केजरीवाल भी अभी तक मौन ही हैं। कल केजरीवाल के मित्र सांसद संजय सिंह
ने पत्रकारवार्ता में घटना होने की पुष्टि की किंतु किसी भी पक्ष से कोई पहल नहीं
की गयी। घटना के बाद से अभी तक स्वातिमालीवाल अपने दोनों घरों से अनुपस्थित हैं।
स्वतः संज्ञान लेने वाले किसी मीलॉर्ड ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया। अब लाख टके का
प्रश्न यह उठता है कि पीड़ित स्त्रियों को न्याय पाने के लिये पुलिस थाने जाकर परिवाद
लिखवाने और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष करने के लिये प्रोत्साहित करने वाली स्वाति
मालीवाल स्वयं अपने उत्पीड़न पर मौन क्यों हो गयीं?
इसके उत्तर में दो अनुमान लगाये जा सकते हैं, एक तो यह कि स्वाति मालीवाल ने केजरीवाल और उनके
मित्र विभव कुमार को इतना शक्तिशाली स्वीकार कर लिया है कि उन्हें मुँह खोलने के दुष्परिणामों
की आशंका है जिसके कारण भयभीत मालीवाल ने मौन धारण करना ही अधिक उचित समझ लिया है।
दूसरा यह, कि मालीवाल को वर्तमान व्यवस्था में संघर्ष करना व्यर्थ
प्रतीत होता है और उन्हें अपने स्तर पर केजरीवाल से निपटने में अधिक विश्वास है। जो
भी हो, दोनों ही बातें लोकतंत्र की निरर्थकता को प्रमाणित करने
वाली हैं। प्रधानमंत्री को तानाशाह बताते हुये न थकने वाला मुख्यमंत्री स्वयं इतन बड़ा
तानाशाह है कि सिटिंग सांसद भी उनके आगे अन्याय को स्वीकार करने के लिये विवश है। और
यदि मालीवाल स्वयं अपने स्तर पर केजरीवाल से निपटने का मन बना चुकी हैं तो यह न्याय
व्यवस्था की निरर्थकता को रेखांकित करने वाला और जनसामान्य को अन्याय के विरुद्ध संघर्ष
करने के लिये हतोत्साहित करने वाला है।
भ्रष्टाचार के विरुद्ध संघर्ष
को राजनीतिक खाद की तरह प्रयुक्त करने वाले केजरीवाल का मौन उसके पापों की ओर
संकेत करता है। भारतीय राजनीति को बहुत से नेताओं ने कलंकित किया है पर इतना
कलंकित आज तक किसी ने नहीं किया जितना कि निर्लज्ज अरविंद केजरीवाल ने किया
है।
आज लखनऊ में केजरीवाल और अखिलेश
यादव एक पत्रकारवार्ता में एक साथ दिखायी दिये तो पत्रकारों ने स्वाति मालीवाल की पिटायी
के सम्बंध में केजरीवाल से प्रश्न पूछने प्रारम्भ कर दिये। केजरीवाल निस्पृह भाव से
बैठे रहे जबकि स्वस्फूर्त चेतना से अखिलेश यादव ने इस प्रश्न का तुरंत उत्तर दिया –
“स्वाति मालीवाल की पिटायी से भी अधिक महत्वपूर्ण कई विषय हैं। मैं लिखकर लाया हूँ।
ये भाजपायी किसी के सगे नहीं हैं। ये नेताओं पर झूठे मुकदमे करने वाला गैंग है।“ अखिलेश
यादव का यह उत्तर भारत के जन-जन को स्मरण रखना चाहिये।
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