रविवार, 12 मई 2024

मतदान

 आज मंथन गहन करने

फिर ये अवसर आ गया है ।

राष्ट्रहित में कठिन निर्णय

का ये अवसर आ गया है ॥

यह लोकसत्ता पंचवर्षी

हम किसे अर्पित करें ।

धर्म के औचित्य पर अब

हम पुनः निर्णय करें॥

विवश होकर देश में ही

क्यों देश शरणागत हुआ ।

कोई कैसे राष्ट्रद्रोही

राष्ट्र में निर्भय हुआ ॥

आग है हर ओर धधकी

दम धुयें से घुट रहा ।

रोटियाँ सिकती हैं उनकी

देश पूरा लुट रहा ॥

सारथी का स्वाँग रच

हैं राजमद वो सब पिये ।

क्या वो जानें हम गरल के

कुंड पीकर भी जिये ॥

नेतृत्व जयचंदों ने छीना

स्वप्न सब धूमिल हुये ।

देश की छल अस्मिता

जयचंद कब अपने हुए !!

आज निर्णय की घड़ी में

नेक निष्ठा ले के चलना ।

कंटकों की और सुमनों

की तनिक पहचान करना ॥

देश किसके हाथ में

है सौंपना, पहचान कर ले ।

हो न जाये चूक फिर से

हो सजग मतदान कर ले ॥

लोकसत्ता पंचवर्षी

हम जिसे अर्पित करें ।

ले चले जो रथ सुपथ पर

सारथी ऐसा चुनें ॥

भाग्य के हम ही विधाता

हैं आज पल भर के लिये ।

फिर न कहना, फिर छलेगा

पाँच वर्षों के लिये ॥

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