मंगलवार, 14 मई 2024

लोकतांत्रिक हिंसा

        कल मंगलवार के दिन केजरीवाल के मित्र और निजी सचिव विभव कुमार ने जमानती मुख्यमंत्री के वैभवशाली राजप्रासाद में राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल को पीट दिया। मंगलवार हनुमान जी का दिन माना जाता है, जेल से छूटने के बाद जमानती मुख्यमंत्री भोर होते ही हनुमान जी के दर्शन करने गये थे। आमआदमी के राजप्रासाद के लोग हनुमान भक्ति से ओतप्रोत हैं। केजरीवाल और विभव कुमार की मित्रता उस समय से है जब वे राजनीति में आये भी नहीं थे। राजमहल और लोकतंत्र पर विभव का अधिकार और प्रभाव इतना प्रचण्ड है कि वह राज्यसभा सांसद को उनके पदनाम से नहीं, बल्कि स्वाति नाम से पुकारता है। जमानती मुख्यमंत्री जी के निजी सचिव पहले भी दिल्ली के सचिव को पीट चुके हैं, तथापि बात-बात पर स्वतः संज्ञान लेने वाले मीलॉर्ड की दृष्टि में केजरीवाल का कभी कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है।  

        महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान राज्यसभा सांसद के नश्वर शरीर पर हाथ-पाँव चलाकर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रदर्शन के समय जमानती मुख्यमंत्री भी राजप्रासाद में उपस्थित थे। यदि यह प्रकरण किसी मीलॉर्ड के न्यायालय में कभी पहुँचा तो जमानती मुख्यमंत्री बड़े भोलेपन से कह देंगे कि राजप्रासाद इतना बड़ा है कि उन्हें तो कुछ पता ही नहीं किस कोने में कब क्या हो गया। मीलॉर्ड को इस उत्तर से संतुष्ट होना ही होगा, लोकतंत्र का यही नियम है। श्रीलाल शुक्ल ने रागदरबारी में शनीचरा की आह को यूँ ही नहीं गा दिया था, उन्होंने न जाने कितने शनीचरा लोगों को न्याय के लिये भटकते हुये देखा, तब जाकर रागदरबारी की उत्पत्ति हुयी। मीलॉर्ड लोगों को शनीचरा के किसी भी तर्क से संतुष्ट नहीं होना चाहिये, लोकतंत्र का यही नियम है। इसीलिये यशस्वी जमानती मुख्यमंत्री दहाड़ते हुये कहते हैं कि वे मोदी की तानाशाही का अंत करने और संविधान बचाने के लिए हनुमान जी की कृपा से जेल से छोड़े गये हैं। अस्तु! दिल्ली, पंजाब और हरियाणा के मतदाताओ! जमानती मुख्यमंत्री की पार्टी को भारी बहुमत से जिताइये और महिलाओं को राजप्रासाद में पीटे जाने का मार्ग प्रशस्त कीजिये।

*स्वतः संज्ञान में भी पक्षपात*

        राज्यसभा की महिला सांसद को मुख्यमंत्री निवास में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में मुख्यमंत्री के मित्र व निजी सचिव द्वारा कल बुरी तरह पीट दिया गया। हम जानते हैं, तानाशाही मानसिकता और भ्रष्टआचरण वाले मुख्यमंत्री को जमानत देने वाले किसी मीलॉर्ड को अपने निर्णय पर ग्लानि नहीं हुयी होगी। यदि तनिक भी ग्लानि हुयी होती तो स्वाति मालीवाल की पिटायी पर अब तक उन्होंने स्व-संज्ञान ले लिया होता। स्वतः संज्ञान लेना मीलॉर्ड के विवेकाधिकार क्षेत्र में आता है, इसके लिये कोई सीमा नहीं है किंतु देश की जनता को नैतिकता और अनैतिकता की सीमाओं का बड़ा सूक्ष्मज्ञान होता है।   

        मीलॉर्ड लोग केजरीवाल को जमानत देने के लिये बड़े व्यथित थे। वे मानते थे कि अपनी हर प्रतिज्ञा को तोड़ देने में कुशल और हर आश्वासन के प्रतिकूल आचरण करने वाले मुख्यमंत्री का कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है इसलिए उन्हें लोकसभा चुनावप्रचार के लिये जमानत दे दी जानी चाहिये। कुछ प्रतिबंधों के साथ उन्हें जमानत दे भी दी गयी। किन्तु किसी प्रतिबंध को ऐसे ढीठ लोग मानते ही कब हैं, लालू प्रसाद इसके प्रत्यक्ष उदाहरण रहे हैं!

        न्यायाधीश महोदय के प्रतिबंध की धज्जियाँ उड़ाते हुये जमानती मुख्यमंत्री ने पहला काम तो यह किया कि अपनी जमानत के बारे में तथ्यों को छिपाते हुये पूरा दारोमदार हनुमान जी की कृपा पर डाल दिया और संविधान पर संकट छा जाने के मिथ्या भय का दुष्प्रचार प्रारम्भ कर दिया। संविधान और लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाने वाला व्यक्ति संविधान बचाने, लोकतंत्र बचाने और तानाशाही समाप्त करने का दुष्प्रचार कर रहा है। यह सब देख-सुनकर मीलॉर्ड संतुष्ट हुये होंगे कि उन्होंने सचिव और महिला सांसद को पिटवाने वाले एक तानाशाह को जमानत देकर दिल्ली की जनता पर बहुत परोपकार किया है।

        देश की जनता भारत की न्यायालयीन व्यवस्था से असंतुष्ट और विकृत-न्याय से दुःखी रही है किंतु अब लोग आक्रोशित भी होने लगे हैं। दंडनायकों के प्रति जनता का बढ़ता अविश्वास, अश्रद्धा और आक्रोश चिंताजनक है। नीतिनिर्माताओं को अपारदर्शी हो चुके कॉलीजियम सिस्टम के औचित्य पर एक न एक दिन विचार करना ही होगा।      

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.