शनिवार, 14 सितंबर 2024

नोबल पुरस्कार सम्मान या क्रूरता का प्रतीक

            मैं कश्मीर से कहना चाहता हूँ कि आज़ादी के लिए तैयार रहो । मैं पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान से कश्मीर का समर्थन करने, कश्मीर की आज़ादी के लिए काम करने का आह्वान करता हूँ । पाकिस्तान, अफगानिस्तान से मैं कहना चाहता हूँ कि तुम कश्मीर की मदद करो, कश्मीर की आज़ादी के लिए काम करो । तौहीद के झण्डे ज़ल्द ही दिल्ली की शाही मस्ज़िद पर लहरायेंगे” –जसीमुद्दीन रहमानी, बांग्लादेश के इस्लामिक नेता ।

नोबल पुरस्कार विजेता बांग्लादेशी मोहम्मद यूनुस द्वारा वहाँ के कट्टर साम्प्रदायिक नेता जसीमुद्द्दीन रहमानी को हाल ही में जेल से मुक्त किया गया है जिसने ममता बनर्जी से भारत से बंगाल की आज़ादी की घोषणा करने की माँग की है । भारत और हिन्दूविरोधी मोहम्मद यूनुस के कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनते ही बांग्लादेश में हिन्दूनरसंहार की क्रूरता और भी बढ़ती चली गयी जिसे रोकने का उसके द्वारा कोई प्रयास नहीं किया गया । यूनुस जैसे क्रूर और विघटनकारी व्यक्ति को नोबल पुरस्कार प्रदान किया जाना और अभी तक उसे वापस न लिया जाना “नोबल-पुरस्कार चयन प्रक्रिया” को दूषित और अपमानित करता है । मोहम्मद यूनुस के कारण नोबल पुरस्कार अब सम्मान का नहीं क्रूरता का प्रतीक बन गया है । 

बांग्लादेश के इस्लामिक नेता जसीमुद्दीन रहमानी ने भारत को खण्डित करने के लिए खुले मंच से पाँच घोषणायें की है –

1-    ख़ालिस्तान आंदोलन को सहयोग करने की कसम खाने की घोषणा ।

2-    जम्मू-कश्मीर की आज़ादी और उसमें पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान को सम्मिलित करने की घोषणा ।

3-    पश्चिम बंगाल को भारत से मुक्त कराने की घोषणा ।

4-    चीन के सहयोग से सिलीगुड़ी गलियारा बंद करने और पूर्वांचल के सात राज्यों को भारत से आज़ाद करने के लिए प्रोत्साहित किये जाने की घोषणा ।

5-    शीघ्र ही दिल्ली की शाही मस्ज़िद पर तौहीद के झण्डे फ़हराये जाने के संकल्प की घोषणा ।

 

भारत के भीतर और भारत से बाहर भारत को खण्डित करने के षड्यंत्रकारियों और योजनाकारों की कमी नहीं है । इस्लाम के नाम पर पूरी दुनिया के अधिकांश मुसलमान एक हो जाते हैं । पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी जसीमुद्दीन रहमानी के समर्थक नहीं हैं ऐसा सोचना आत्मघाती होगा ।

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