१. *सामान*
अपराजिता बिल है
एक और संविधान
न्याय के बाजार में
सजावट का एक और सामान ।
न नौ मन तेल होगा
न राधा नाचेंगी
न कोई प्रमाण मिलेगा
न कोई दंडित किया जाएगा ।
इस तरह
होता रहेगा पराजित
अपराजिता बिल
संविधान की तरह ।
२.
*न्याय की पोटली*
बाँधकर अन्याय
न्याय की पोटली में
निकला है राजा
मृगया विहार को ।
उसके लिए
मृग-शावक होती हैं बेटियाँ
तुम जब भी न्याय माँगोगी
वह खोलकर बैठ जाएगा
न्याय की पोटली
और बिखेर देगा भरपूर अन्याय ।
३.
*त्वरित न्याय*
अपराजिता बिल लाकर
धो लिये उसने
अपने रक्त-रंजित हाथ
बचा ली सरकार
और कर दिया
विरोधियों पर प्रहार
जो वास्तव में
प्रहार है बेटियों पर ।
बेटियों की पीड़ा होती
किसी को भी
तो ये नाटक न होते
यह निर्लज्जता न होती
ये कभी न समाप्त होने वाली जाँचें
न होतीं
केवल न्याय होता
त्वरित न्याय ।
४.
*कोलकाता-बहराइच-कोलकाता*
मानकर मृग-शावक
बेटियों पर झपटते हैं संगठित भेड़िये
एक दूसरे को बचाने के लिए
अपनी जान भी दे देते हैं भेड़िए
वे नहीं होते मनुष्यों की तरह
टूटे और बिखरे हुए
आपदा में
एक-दूसरे को नोचते हुए ।
भेड़ियों ने नहीं लिखा
कभी कोई संविधान
वे समर्पित होते हैं
एक-दूसरे के लिए
पूरी निष्ठा से
वे नहीं होते मनुष्यों की तरह
जो बनाते हैं संविधान
कभी न मानने के लिए ।
५.
*संविधान से आगे*
कब तक जलाती रहोगी
कुछ पल जलने वाली मोमबत्तियाँ ।
अँधेरे प्रतीक्षा नहीं किया करते
मोमबत्तियों के बुझने की
मोमबत्तियाँ सीमित हैं
और अँधेरे
असीमित,
वे
फिर घिर आएँगे ।
बेटियों को बनना होगा
सतत ज्वाला
जीवन के अंतिम क्षण तक
बेटियों को सीखना होगा
जो नहीं लिखा है संविधान में ।
जो लिखित है वह सीमित है
जो अलिखित है वह असीमित है ।
तुम्हारे लिए
संविधान से आगे भी है
एक और संविधान ।
६.
*लड़की*
वे
निकालकर सबकी आँखों से काजल
उठा लेते हैं एक सामान
जिसे तुम लड़की कहते हो ।
वे
चीरते हैं, फाड़ते हैं, चबाते हैं
उस सामान को
जिसे तुम लड़की कहते हो ।
राजा की चौखट से न्याय के
मंदिर तक
वे
अजेय होते हैं
उनके सुरक्षा कवच
बहुत दृढ़ होते हैं ।
उनके साथ
गुरिल्ला-युद्ध में दक्ष
हिंसक भीड़ होती है ।
लड़की
अकेली होती है
अंदर से बाहर तक
इस छोर से उस छोर तक ।
सनसनी बेचने वाले व्यापारी
मिलते ही दूसरी सनसनी
छोड़ दिया करते हैं
पहले वाली सनसनी ।
लड़की
फिर हो जाती है अकेली
बची हुयी
हर जीवित लड़की ।
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