बुधवार, 25 सितंबर 2024

दीप जला देना

दीप बुझे सब, घिर आये तम 

तोड़ के सारे भ्रम के बंधन 

तुम दीप जला देना 

अब और नहीं सोना ॥

हठ झूठे संदेश भी झूठे 

झूठे चरखे की झूठी धुन 

अब और नहीं सुनना 

अब और नहीं सोना ॥

जिसे अहिंसा कह भरमाया 

निकली भीतर से वह हिंसा 

तेरी झूठी बातों में अब, और नहीं पड़ना 

अब और नहीं सोना ॥

जब रात घनेरी हो, पास कोई ना हो 

बढ़ जायें असुरों के घेरे 

आवाज हमें देना 

अब और न चुप रहना ॥

सनातन की धारा, है मिलकर बचाना 

एक हैं हम ये, संकल्प लेना 

अब दूर नहीं रहना 

कभी दूर नहीं रहना ॥

सनातन हैं हम, सनातन रहेंगे 

भगीरथ के वंशज, भगीरथ बनेंगे 

यही सोच कर आज संकल्प लेना 

अब और नहीं सोना ॥

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