सोमवार, 15 मार्च 2021

इण्डियन वैक्सीन टु पाकिस्तान...

जब तुम्हारी सेनायें नागोर्नो क़ाराबाख में आर्मीनियन एपोस्टोपिक क्रिश्चियन्स पर गोले बरसा रही थीं और तुम्हारे पाल्य आतंकी आये दिन कश्मीर में घुसकर कश्मीरियों की हत्यायें करने में मशगूल थे हम हैदराबाद और पूना की प्रयोगशालाओं में कोरोना वायरस से लड़ने के लिये वैक्सीन पर रिसर्च करने में व्यस्त थे । ठीक उन्हीं लम्हों में तुम बेग़ुनाह लोगों की जान के दुश्मन बने थे और हम लोगों की जान बचाने की कोशिशों में दिन-रात एक किये दे रहे थे । राक्षस संहार करते हैं और देवता सृष्टि बचाने के उपायों में लगे रहते हैं । यह फ़र्क पाकिस्तान के हुक्मरान आज तक नहीं समझ सके ।

इस सबके बाद भी पूना बेस्ड सीरम इन्स्टीट्यूट ऑफ़ इण्डिया निर्मित भारतीय वैक्सीन कोवीशील्ड पाकिस्तान को ख़ैरात में अंततः मिल ही गयी । कोवीशील्ड के सोलह मिलियन डोज़ भारत ने ख़ैरात में दिये हैं और शेष उन्तीस मिलियन डोज़ “ग्लोबल अलायंस फ़ॉर वैक्सींस एण्ड इम्म्यूनाइज़ेशन” (गावी) की ओर से ख़रीदकर पाकिस्तान को ख़ैरात में दिया जाना तय हुआ है । सुना गया है कि भारत से वैक्सीन ख़रीदकर पाकिस्तान को ख़ैरात देने की मेहरबानी अमेरिका द्वारा की जा रही है ।

ख़ैरात का इंसानियत से बड़ा गहरा नाता है जिसे पाकिस्तान से अधिक भारत के लोग समझते हैं ।

मज़लूम पाकिस्तान को ख़ैरात देने का सिलसिला चालू हुआ तो लगे हाथ चीनी चाचू ने भी अपनी घटिया वैक्सीन कैनसिनो पाकिस्तान में बँटवा डाली जिस पर पाकिस्तानियों की प्रतिक्रिया नाक-भौंह सिकोड़ने वाली है ....कुछ वैसी ही जैसी अण्डरवियर वाले कपड़े से बने चीनी फ़ेस-मास्क पाकिस्तान में बाँटने के बाद हुयी थी ।

सोशल मीडिया पर पाकिस्तानियों ने एकदम साफ कर दिया कि चीनी चाचू जैसे दोस्त की अपेक्षा भारत जैसे दुश्मन की वैक्सीन कहीं अधिक भरोसेमंद है । शत्रु पर इतना भरोसा कर पाना कोई मामूली बात नहीं है । पाकिस्तानियों का भारत की वैक्सीन पर भरोसा भारत की नैतिक विजय की घोषणा है ।

देवता दण्ड भी देते हैं और वरदान भी, लेकिन राक्षस केवल यातनायें ही देते हैं । पाकिस्तान की बात करते समय आम भारतीय की भाषा और भाव में जो तल्ख़ी होती है वह आपको यहाँ भी देखने को मिल सकती है । वजह साफ है ...पाकिस्तान सर्दी में ठिठुरता हुआ भारत का वह निहायत बदमाश बेटा है जिसे बेहद गुस्से के बाद भी कम्बल ओढ़ाने और रोटी देने से भारत स्वयं को रोक नहीं पाता । पाकिस्तान में बहुत से ऐसे लोग भी रहते हैं जिनके दिल आज भी भारत के लिये धड़कते हैं ...और आगे भी धड़कते रहेंगे । यह मनुष्यता का सुकोमल और उष्ण स्पंदन है ...ठीक अधखिली कलियों की तरह और हिमालय की चोटियों से पिघल कर बहती छोटी-छोटी निर्मल जलधाराओं की तरह ।

बेशक! पाकिस्तान एक बिगड़ा हुआ महाबदमाश गँजेड़ी युवक सा एक मुल्क है जिसके दिमाग़ में सिर्फ़ और सिर्फ़ ख़ुराफ़ात और हैवानियत भरी हुयी है । यह एक अपराधी देश है जिसके लिये धार्मिक कट्टरता और वहाँ की सत्तापरस्त हुकूमतें उतरदायी रही हैं । कोरोना वायरस और पाकिस्तान इस धरती की अनिवार्य मुसीबतों में शुमार हैं । दुनिया को इनके साथ ही रहना होगा, गोया घने जंगल में उगी कँटीली झाड़ियों से बचते हुये रास्ता बनाकर जंगल पार करने की मज़बूरी ।

कँटीली झाड़ियों को नष्ट करने से जंगल के अन्य जीवों के प्राण संकट में आ सकते हैं, वक़्त आने पर हमें इनके ख़ुद-ब-ख़ुद नष्ट हो जाने तक इंतज़ार करना होगा ।

एक ख़ास बात जो कहनी है वह यह कि शैतानी ताक़तें दुनिया की शराफ़त को अपनी शैतानियत की ताक़त बना लिया करती हैं । पाकिस्तान इसका सबसे सटीक उदाहरण है । उसे पता है कि उसके घर की बद्बू से परेशान होकर पड़ोसी सफाई के लिये मज़बूर हो जायेंगे ..इसलिये पाकिस्तान अपने घर की कभी सफाई नहीं करता बल्कि दुनिया भर का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिये अपने घर में बे-इंतहा बद्बू पैदा करने के इंतज़ामात में लगा रहता है ।

ख़ैर! भारत तो पूरी वसुधा को ही अपना कुटुम्ब स्वीकार कर चुका है । कुटुम्ब का हर सदस्य शरीफ़ हो ...यह मुमकिन तो नहीं । भारत की चिंता दुनिया भर के मनुष्यों के लिये है ...भले ही वे मनुष्यों के वेश में भेड़िये ही क्यों न हों । 

7 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 16 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. व्वाहहह
    ये मेरा भारत
    वाकई महान है
    सादर..

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    1. जी! निश्चित ही हमारे वैज्ञानिकों की क्षमतायें असंदिग्ध और प्रशंसनीय हैं । अवसर मिलेंतो हम क्या नहीं कर सकते !

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टिप्पणियाँ हैं तो विमर्श है ...विमर्श है तो परिमार्जन का मार्ग प्रशस्त है .........परिमार्जन है तो उत्कृष्टता है .....और इसी में तो लेखन की सार्थकता है.