सीटी
स्केन की रिपोर्ट आ गयी है । घोष बाबू की पत्नी ने बेटे से पूछा – “क्या
लिखा है रिपोर्ट में?”
बेटे ने
पढ़कर सुनाया – “ग्राउण्ड ग्लास हैज़ीनेस विद इंटरलोब्युलर सेप्टल थिकनिंग इन बाई लैटरल
लंग फ़ील्ड्स... अलमोस्ट इनवॉल्विंग होल पैरेन्काइमा... कैल्सीफ़ाइड
लीज़न इन राइट एपिकल रीज़न... मिड एण्ड लोअर ज़ोंस ऑफ़ लंग्स ...”।
माँ ने
बीच में ही टोक कर पूछा – “ मतलब सब ठीक है न!”
बेटे ने
उदास होकर कहा – “नहीं, दोनों फेफड़ों में इण्टरलोब्युलर सेप्टल थिकनिंग है… और
ऊपरी हिस्से में चूना जम गया है”।
“हे
भगवान चूना? लेकिन हम लोग तो आरो का पानी पीते हैं ...”
बेटे ने
माँ की ओर देखा पर कोई उत्तर नहीं दिया ।
प्रोफ़ेसर
घोष को आगरा से गुरुग्राम आये हुये अठारह दिन हो चुके हैं । अगरतला वाली त्रिपुर
सुंदरी घोष बाबू की पत्नी के निरंतर सम्पर्क में हैं । एक दिन त्रिपुर सुंदरी ने मोतीहारी
वाले मिसिर जी को सूचना दी – “...रिपोर्ट में कोरोना पॉज़िटिव निकला था, आगरा
में तीन दिन तक भर्ती रखा, हालत और बिगड़ गई तो गुरुग्राम ले
जाना पड़ा । बाप रे... रोज का खर्चा एक लाख से अधिक ही हो रहा है ...वेंटीलेटर पर
हैं ...किसी को मिलने नहीं दे रहे हैं...”।
खर्चे
की बात पर मिसिर जी ने रोषपूर्वक कहा – “न वैक्सीन न दवा ...फिर भी खर्चा एक लाख
रोजाना ...हॉई कवन सा इलाज़ बा? हमरा नियन गरीब-गुरबा त
खर्चवय सुन के मुआ जाई”।
त्रिपुर
सुंदरी ने कहा – “वही तो...और यह भी निश्चित नहीं कि मरीज़ वापस घर आ भी पायेगा या
नहीं”।
गुरुग्राम
आये हुये बीस दिन हो गये हैं । घोष बाबू की पत्नी परेशान हैं, पति
की आवाज़ सुने जैसे कई युग बीत गये हों । बेटा दिन भर में न जाने कितनी बार
पैरामेडिकल स्टाफ़ से बात करता है, सुबह और शाम को डॉक्टर से
भी बात करता है । घोष बाबू की पत्नी दूर खड़ी रहकर सब कुछ देखती रहती है, फिर धीरे-धीरे चलकर बेटे के पास पहुँचती है । अब वह बहुत कम बोलती है,
माँ-बेटे के बीच अब आँखों और चेहरे की भाषा में सम्वाद होने लगा है
।
एक दिन पैरामेडिकल
स्टाफ़ ने सूचना दी – “डायलिसिस करना होगा”।
घोष
परिवार चिंतित हो गया । बेटे ने एक जूनियर डॉक्टरके सामने चिंता ज़ाहिर की –
“डायलिसिस? तो क्या अब किडनी भी काम नहीं कर रही? आपके हिसाब से
सर्वाइवल की क्या सम्भावनाएँ हैं?”
डॉक्टर
ने उत्तर दिया – “हम दुनिया का बेस्ट ट्रीटमेंट दे रहे हैं”।
आज
अगरतला वाली त्रिपुर सुंदरी ने वाट्स अप पर घोष बाबू का एक चित्र पोस्ट किया है ।
चित्र पर बहुत सी मालाएँ हैं और पास में अगरबत्तियों से धुआँ निकल रहा है ।
त्रिपुर सुंदरी ने अपनी पोस्ट में केवल चित्र ही पोस्ट किया है, लिखा
कुछ भी नहीं ।
बहुत कुछ
कहने के लिए कई बार एक भी शब्द की आवश्यकता नहीं हुआ करती ।
कोरोना
का कहर ज़ारी है, मौतें हो रही हैं और फ़ार्मा शेयर्स उछाल मार रहे हैं । ख़बर है कि बड़े-बड़े
स्टार हॉस्पिटल्स के शेयर्स एक बार फिर भागने वाले हैं । दोपहर को मोतीहारी वाले
मिसिर जी का फोन आया था ...निःशब्द । वाणी थी, शब्द नहीं थे ।
निःशब्द संवाद की शक्ति गहराई तक प्रभाव छोड़ती है ।
ओह ! हृदयविदारक ! कोरोना की आड़ में ना जाने किस किस ने हाथ रंग लिए |मानवता की नैतिक शिक्षा कहा अलोप हो गयी ? चिकित्सक को भगवान् मानने की थ्यूरी पर प्रश्न चिन्ह लगे हैं !
जवाब देंहटाएं1
और वो कह रहे हैं सच के सिवा कुछ नहीं कहेंगे।
जवाब देंहटाएं@ रेणु जी!- चिकित्सक भी पतित समाज का ही एक हिस्सा है इसलिए उसका पतन भी समानुपातिक है । ...किंतु यह तय है कि ऐसे लोग किसी का भला कर पाने में असमर्थ हैं । कभी क़यामत हुई तो डॉक्टर पूरी तरह निस्सहाय ही साबित होंगे ।
जवाब देंहटाएं@ जोशी जी! - राजनीति और सच का 36 का रिश्ता है ।