ईराक में
स्त्रियों का जीवन ज़हन्नुम से भी बदतर बना देने वाले इस्लामिक स्टेट के गुरिल्लाओं
के अत्याचारों की दर्दनाक कहानियों का कोई अंत नहीं है । “Daesh’s Slave” एक ऐसी जीवित पुस्तक है जो फ़्रांसीसी पत्रकार Thierry Oberle द्वारा लिखित और जीनान द्वारा coauthored है ।
अठारह
साल की जीनान एक ईराकी कुर्दिश यज़ीदी हैं जिन्होंने आईएस गुरिल्लों की कैद से किसी
तरह भागकर कुर्दिस्तान के एक शरणार्थी शिविर में शरण ली है । लेखिकाद्वय की इस
पुस्तक ने मोसुल में संचालित एक अंतरराष्ट्रीय “यौनदासी बाजार” के उन स्याह पन्नों
को सभ्य समाज के मुँह पर दे मारा है जिनमें यौनदासियों के रूप में यज़ीदी और ईसाई स्त्रियों
की ख़रीद-फ़रोख़्त खुले आम होती रही है और संयुक्त राष्ट्र संघ असहाय बना सब कुछ
देखता रहा ।
अठारह
साल की जिनान भी उन सैकड़ों लड़कियों में से एक है जिसे सन् 2014 में अल्लाह के नाम
पर कई बार बेचा गया, धर्मांतरण के लिये पीटा गया और सामूहिक यौनक्रूरता का शिकार बनाया गया । इस्लाम
की इबादत करने वाले गुरिल्लाओं को यक़ीन है कि ग़ैर-इस्लामिक लोगों को मुसलमान बनाने
के लिये उनके साथ क्रूरतापूर्वक मारपीट करना पूरी तरह उचित और अल्लाह की ख़िदमत का एक
हिस्सा है ।
इस्लामिक
यौनख़रीददार उसे कुछ समय या कुछ दिन तक अपने पास रखते थे और फिर किसी दूसरे व्यक्ति
को बेच देते थे । तीन माह तक चले इस नारकीय सिलसिले के बीच वह भिन्न-भिन्न उम्र और
भिन्न-भिन्न मिजाज वाले लोगों की क्रूरता की शिकार होती रही । आईएस की कैद से
भागने से पहले अंतिम बार उसे दो व्यक्तियों ने ख़रीदा था जिनमें से एक सेवानिवृत्त
पुलिस वाला था और दूसरा एक इमाम ।
जिनान
बताती हैं – “They
tortured us, tried to forcefully convert us. If we refused we were beaten,
chained outdoors in the sun, forced to drink water with dead mice in it.
Sometimes they threatened to torture us with electricity.”
“These
men are not human. They only think of death, killing. They take drugs
constantly. They seek vengeance against everyone. They say that one day Islamic
State will rule over the whole world.”
अपनी
पुस्तक “Daesh’s
Slave” में जीनान लिखती हैं किस तरह उन्हें एक बार मोसुल में एक बड़े
से रिसेप्शन हॉल में बेचने के लिये ले जाया गया जहाँ उसकी जैसी और भी सबीया पहले
से मौज़ूद थीं – “… dozens of women were gathered there. …The fighters
circulated among us, laughing raucously, pinching our backsides.” जीनान ने एक ख़रीददार को किसी से शिकायत करते हुये सुना – “…That
one has big breasts. But I want a Yazidi with blue eyes and pale skin. Those
are the best apparently. I am willing to pay the price.”
सबीया (यौनदासियों)
के बाजार में आने वाले ग्राहकों में सर्वाधिक संख्या ईराक़ी और सीरियाई लोगों की
हुआ करती थी लेकिन योरोपीय ग्राहकों को भी कम उम्र की कुर्दिश लड़कियों का चस्का लग
चुका था और वे भी सबाया की ख़रीद-फ़रोख़्त के लिये ऐसे बाजारों में आने लगे थे ।
ख़ूबसूरत और कम उम्र की लड़कियों को इस्लामिक स्टेट के सरदारों या खाड़ी देशों के
अमीर ग्राहकों के लिये सुरक्षित रखा जाता था, जीनान लिखती हैं – “The
best-looking girls were reserved for the bosses or wealthy clients from Gulf
nations.”
एक बार
जब जिनान को बेचा जा चुका था और तमाम लोग उस बिके हुये “livestock” को देख रहे थे तभी उसने एक नये ग्राहक को कहते हुये सुना - “I will
exchange your Beretta pistol for the brunette. If you prefer to pay cash it is
$150 (133 euros). You can also pay in Iraqi dinars."
सबीया बाजारों
में सीरिया, तुर्की और खाडी के अमीरों के लिये विशेषाधिकार सुरक्षित रखे गये थे । एक दिन
जीनान ने अपने मालिक अबू ओमर को अबू अनस से अरबी में कहते सुना – “A man
cannot purchase more than three women, unless he is from Syria, Turkey, or a
Gulf nation,”
कुर्दिस्तान
के एक शरणार्थी शिविर में रह रही जीनान को भय है कि अपने गाँव जाने पर उसे मार दिया
जायेगा – “If we
go back home, there will be other genocides against us. The only solution is
that we have a region to ourselves, under international protection.”
भारत में
हिंदू राष्ट्र का विरोध करने वालों को जीनान की यंत्रणा से सीख लेने की आवश्यकता है
। कठिन समय के लिये कुर्दों के लिये एक कुर्दिस्तान है, मुसलमानों
के लिये बहुत सारे देश हैं, यहूदियों के लिये इज़्रेल है किंतु
हिंदुओं के लिये कहीं कोई स्थान नहीं है ।
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