रचते-रचते ही रंग ये निखर पायेगा
कभी तो
जरा सा सबर कीजिये ।
वक़्त
करवट बदलने को तैयार फिर
आप भी
थोड़ा सा अब सँभल जाइये ।  
आ गये हम फिर से अपने शहर 
आप भी थोड़ा सा अब ठहर जाइये । 
हाँ सजाया सँवारा है हमने इसे 
पृष्ठ इतिहास के भी पलट लीजिये । 
था छुआ
मैंने तुमको गज़ल जानकर 
यूँ
फुफकार ना, मान भी लीजिये । 
पूजते
हम वतन को माँ मानकर
आँच आने
न देंगे ये सुन लीजिये ।
हाँ ये भारत, सुनो
तुम, मेरे बाप का है
मेरे बाप के बाप के बाप के भी बाप का
है  
लूटने अब न देंगे सँभल जाइये । 
हो कौन तुम और आये कहाँ से  
पूछ पुरुखों से अपने समझ लीजिये ।
जिनके
आदर्श कासिम, बख़्तयार औ बाबर 
वे भी
कातिल लुटेरे हैं लिख लीजिये । 
है
वीरों की आदर्शों की ये धरती 
गुरु
गोविंद, बंदा, तात्या औ मंगल
रानी
झाँसी ओ नीरा को गुन लीजिये । 
सुन्दर
जवाब देंहटाएंपढ़ने के लिये आभार!
हटाएंसर जी वाह बहुत ही अच्छी लाइने लिखी है आपने। धन्यवाद। Zee Talwara
जवाब देंहटाएंधन्यवाद! आदरणीय!
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