ब्रिटिश इण्डिया के समय मुसलमानों को अपने लिये एक हिस्सा चाहिये था । उन्हें पश्चिम में ईरान और पूर्व में म्यानमान की सीमाओं से लगे क्षेत्र पाकिस्तान बनाने के लिए दे दिये गये । बटवारे के बाद भी मुसलमानों की एक बहुत बड़ी जनसंख्या भारत में ही बनी रही । अब एक बार फिर मुसलमानों को बराबरी का हिस्सा चाहिये । ओवेसी, वारिस पठान और रहमानी जैसे लोगों ने आवाज़ बुलंद कर दी है कि उन्हें हिंदुस्तान की सियासत में बराबरी का हिस्सा चाहिये । उनके अनुसार उन्हें यह हक भारत के संविधान ने दिया है । आप भारत को हिंदूराष्ट्र बनाने की माँग करने से डरते हैं । मुसलमान भारत में शरीयत लागू करने के लिये सड़कों पर नारे लगाते हैं ।
आपने सुना
किन्तु उसका भावार्थ नहीं समझा, जब उन्होंने कहा कि वे वंदे मातरम
नहीं कहेंगे लेकिन उन्हें हिंदुस्तान की धरती से मोहब्बत है । नादिरशाह और हमायूँ को
भी हिंदुस्तान की धरती से मोहब्बत थी । उन्हें ईद के बकरे से भी मोहब्बत होती है ।
उन्हें हर ख़ूबसूरत चीज से मोहब्बत होती है जिसका वे उपभोग कर सकते हैं । हम भारत की
धरती की पूजा करते हैं । हम जिसकी पूजा करते हैं उसका उपभोग करना हमारे संस्कारों में
नहीं है, इसीलिये हमने किसी दूसरे मुल्क पर धरती की मोहब्बत में
हमला नहीं किया, वहाँ के रहवासियों का कत्ल-ए-आम नहीं किया,
वहाँ की धरती को रौंदा नहीं, वहाँ के लोगों को
तबाह नहीं किया, वहाँ की स्त्रियों से बलात-यौनाचार नहीं किया
। वे हमारी धरती से मोहब्बत करते रहे और हमारे मंदिरों को लूटते रहे, हमारी बहुओं-बेटियों की इज्जत लूटते रहे । मोहब्बत को हम इबादत समझते रहे और
ख़ुद को तबाह करने के लिए उन्हें अपने आपको सौंपते रहे ।
छोड़िये, आप इतिहास
को कुरेदना नहीं चाहते । वर्तमान को तो देख सकते हैं न! देखिये... आँखें खोलकर देखिये,
अच्छी तरह देखिये, उन गढ़ी हुई परिभाषाओं को देखिए
जो आपके अधिकारों को छीनने के लिये आपको पढ़ायी जाती रहीं, उन
धमकियों को देखिये जो आपके स्वाभिमान को ललकारती हैं, उन घोषणाओं
को देखिये जो आपको विदेशी मानती हैं और मुसलमानों को भारत का मूल नागरिक ।
मुसलमानों
के तेवर और उनकी तैयारियों को देखकर सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वे अब भारत
के और नये टुकड़े से संतुष्ट नहीं होंगे बल्कि उन्हें पूरा भारत चाहिये । उन्हें मुसलमान
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री चाहिये । उन्हें विधानसभा में नमाज के लिये एक हॉल चाहिये
फिर एक दिन उन्हें शरीयत भी चाहिये । यह सब होगा । आप गाते रहिये – कुछ बात है कि हस्ती
मिटती नहीं हमारी । ख़याली पुलाव पकाने और आत्ममुग्धता में डूबे रहने से कोई किला नहीं
जीता जाता, हाँ! जीता हुआ किला हारा ज़रूर जाता है ।
दिल्ली के
मुख्य मंत्री हर विधान सभा क्षेत्र में उर्दू और इस्लाम की तालीम के लिए सरकारी स्कूल
खोलने जा रहे हैं । यही सेक्युलरिज़्म है, संविधान नें उन्हें इस काम के
लिए अधिकार दिया है । संविधान में हिंदुओं के क्या अधिकार हैं, इसकी कोई चर्चा नहीं होती । चर्चा
इस बात की होती है कि सनातन धर्म की शिक्षा सरकारी स्कूलों में देना इस्लाम का अपमान
ही नहीं बल्कि धार्मिक ध्रुवीकरण भी है । इससे हिंदू आतंकवाद फैलेगा । ये बातें चौबीस
घण्टे दोहरायी जाती हैं । हम इन बातों के अभ्यस्त हो जाते हैं फिर इसी को सच मानने
लगते हैं । भारत आने वाले समय में अफगानिस्तान बनने बनने वाला है । आप गंगा-जमुनी तहज़ीब
और भाईचारे की ढोलक बजाते रहिये । उन्हें हिंदुस्तान में “पाकिस्तान ज़िंदाबाद” और “हिंदुस्तान
मुर्दाबाद” चाहिये ।
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