लास
एन्जेलेस की एक्शन फ़िल्मों में पिस्तौल से निकली अदृश्य किरणों का कमाल आपने देखा
होगा । कंक्रीट को भेद कर अपने लक्ष्य तक पहुँचने जाने वाली ये किरणें किसी भी
डिवाइस को तत्काल निष्क्रिय कर सकती हैं या किसी को जला कर ख़ाक कर सकती हैं । बहुत
से लोग इसे हॉलीवुड की कल्पना मानते होंगे किंतु आपको जानकर हैरानी होगी कि ऐसी
पिस्तौलें काल्पनिक नहीं बल्कि वास्तविक होती हैं । इन पिस्तौलों को IEMI (Intentional
electromagnetic interference) कहते हैं जो वास्तव में EMP (Electromagnetic
pulse) का ही छोटा रूप होती हैं । जहाँ EMP का
प्रयोग बहुत बड़े स्तर पर और अधिक विध्वंस के लिये किया जाता है वहीं IEMI का प्रयोग छोटे स्तर पर किंतु विनाशकारी अपराधों के लिये किया जाता है ।
कुछ
अपराधियों द्वारा IEMI का प्रयोग धमकी देकर पैसे कमाने के लिये भी किया जा सकता है । इसे
कम्प्यूटर वायरस वाले उदाहरण से आसानी से समझा जा सकता है । कम्प्यूटर वायरस का
प्रयोग एण्टीवायरस डिवाइस बेचकर पैसे कमाने के लिये संगठित साइवर विशेषज्ञों
द्वारा किया जाता है । कुछ लोग इसे व्हाइट कॉलर क्राइम मानते हैं जिसमें दर्द पैदा
ही इसलिये किया जाता है ताकि उस दर्द की दवा बेच कर पैसे कमाये जा सकें ।
कम्प्यूटर वायरस बनाकर किसी डिवाइस को क्षति पहुँचाना एक साइबर क्राइम है किंतु
एण्टी वायरस बनाकर बेचना उस अपराध को सुव्यवस्थित बनाये रखने का अपराध होते हुये भी
अपराध नहीं माना जाता । ऐसे अपराध आधुनिक वैज्ञानिक युग के कॉम्प्लीकेशंस हैं जो
एक दिन इस सभ्यता को समाप्त कर देने के लिये पूरी तरह तैयार बैठे हैं ।
पाकिस्तान
और उत्तरी कोरिया जैसे देशों ने भी घातक न्यूक्लियर अस्त्र बना लिये हैं किंतु
ग़रीबी समाप्त कर सकने में असफल रही दुनिया भर की सरकारें बेशुमार पैसा बर्बाद करके
एक से एक घातक और विनाशकारी अस्त्र बनाने में रात-दिन एक किये दे रही हैं । इस
प्रतिस्पर्धा का अंत इस सभ्यता के अंत के साथ होना तय है । तकनीकी ज्ञान यदि
कुपात्रों के हाथ लग जाय तो उसका दुरुपयोग होना निश्चित है । इसीलिये मनुस्मृतिकार
ने ज्ञान को कुपात्रों से बचाकर रखने का सुझाव दिया था । पश्चिमी सभ्यता ने तकनीकी
ज्ञान को कुपात्रों से बचाने के स्थान पर उसे हर किसी के लिये उपलब्ध कराने की
परम्परा डाली जिसका परिणाम आज हम देख रहे हैं । सुना है कि अफगानिस्तान में
तालिबान के हाथ विध्वंसक अस्त्र लग चुके हैं ।
आज तो बहुत
से देशों के पास न्यूक्लियर अस्त्र हो गये हैं जिससे दुनिया महाविध्वंसकारी युद्ध
के कगार पर आकर खड़ी हो गयी है । नये-नये विध्वंसकारी अस्त्रों को खोजने की
प्रतिस्पर्धा अभी थमी नहीं है ।
जैव-अस्त्र
“कोरोना” की विनाशक क्षमता से दुनिया अभी जूझ ही रही है । महाविनाशकारी EMP Missiles और छोटे स्तर पर विनाशकारी IEMI Guns की उपलब्धता के
बाद अब परमाणु बमों की उतनी संहारिकता नहीं रह गयी है । परमाणु अस्त्र तो अब केवल
धौंस और भय उत्पन्न करने के साधन भर रह गये हैं ।
EMP और High altitude EMP Missiles से दागी जाने वाली
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स से किसी विस्तृत भूभाग में सुपर इनर्ज़ेटिक लाइटनिंग उत्पन्न
की जा सकती है जो अपने प्रभाव क्षेत्र में कार्यरत हर तरह के आधुनिक उपकरणों को
तत्काल निष्क्रिय कर सकती है । इसका प्रभाव एक तरह से मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिकल पैरालिसिस के रूप में परिणमित होता है
जिसके कारण धरती के एक बहुत बड़े भूभाग की गतिविधियों को पूरी तरह निष्क्रिय करके
शत्रु देश को लाचार बनाया जा सकता है ।
EMP या HEMP मिसाइल से किये गये मात्र एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक
विस्फोट से किसी भी महाद्वीप की National security, Data centers,
Telecommunications, Green energy power, Heating companies, Transportation sector,
Bank and other financial services, Security systems, Electricity distribution,
Infrastructure, Hospitals and public health facilities, Oil and Gas industries,
Water treatment facilities, and all other technology driven instances आदि प्रणालियों को पलक झपकते ही निष्क्रिय किया जा सकता है । इलेक्ट्रोमैग्नेटिक
पल्स के मारक क्षेत्र की भयावहता दुष्ट वैज्ञानिकों और राजनीतिज्ञों को छोड़कर हर
किसी की आत्मा को झकझोरती है । यदि मास्को के स्ट्रेटोस्फ़ेयर में एक विस्फोट किया
जाय तो उससे उत्पन्न NEMP क्षेत्र लंदन सहित पूरे पश्चिमी
योरोप में प्रभावी होगा और इस विशाल क्षेत्र की सम्पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों को
तत्काल नष्ट कर देगा । जरा कल्पना कीजिये कि यदि चीन, उत्तरी
कोरिया, तुर्की या तालिबान में से किसी ने भी ऐसा कोई
विस्फोट कर दिया तो स्मार्ट इलेक्ट्रिक ग्रिड्स, वर्चुअल
कम्यूनिकेशन, ड्रायवरलेस कार, आई
ट्रेकिंग टेक्नोलॉज़ी, हाई एफ़ीसिएंसी फ़ोटोवोल्टाइक सेल,
ग्रीन इनर्ज़ी इलेक्ट्रिकल पॉवर कन्वर्टर, वायरलेस
बियरेबल टेक, ग़्रेफ़ीन, आयन थ्रस्टर
इनर्ज़ी आदि की क्या उपयोगिता रह जायेगी! बैंक में डाटा नष्ट हो जाने से आपके
अकाउण्ट में जमा पैसों का क्या होगा! एटीएम काम करना बंद कर देंगे तो दैनिक उपयोग
की चीजें ख़रीदने के लिये पैसे कहाँ से आयेंगे! शेयर मार्केट में लगे आपके और राकेश
झुनझुनवाला के पैसों का क्या होगा!
दुर्भाग्य की बात यह है कि पाकिस्तान, उत्त कोरिया और ईरान जैसे देशों ने भी EMP Missiles बना लिये हैं ।
सबको
पता है कि आज हर तरह अत्याधुनिक हथियार आतंकी संगठनों को उपलब्ध हो चुके हैं । हाईटेक
अपराधियों के लिये स्माल फ़्रीक्वेंसी बैण्ड में स्तेमाल की जाने वाली IEMI Guns जैसी डिवाइसेज़ का जुगाड़ कर लेना बिल्कुल भी मुश्किल नहीं है । अपने
नागरिकों को दो सौ रुपये प्रति किलो टमाटर बेचने वाला पाकिस्तान भी जब चाहे तब IEMI
Guns बना सकता है । मात्र 1000 US डॉलर से भी
कम खर्च करके इन गन्स का निर्माण किया जा सकना सम्भव है जिनका दुरुपयोग आतंकी
हमलों के अतिरिक्त इलेक्ट्रॉनिक वारफ़ेयर, स्मार्ट बर्ग्लर्स
और हैकर्स द्वारा भी किये जाने की सम्भावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता ।
दूसरी
ओर हॉलैण्ड जैसे देशों ने एंटीवायरस की तर्ज पर EMP युद्ध का सामना
करने के लिये EMP protection सिस्टम भी तैयार कर लिया है ।
यह एक “फ़ैराडे-केज़” है जो एक शील्डिंग सिस्टम की तरह काम करता है और EMP
missile के विनाशकारी प्रभावों को निष्क्रिय कर देता है । किंतु
सवाल यही है कि इस तरह दौड़ चूहा दौड़ बिल्ली की प्रतियोगिता कब तक चलती रहेगी?
दुनिया भूख और बीमारियों का सामना तो कर लेगी किंतु इस वैचारिक संकट
का सामना कैसे कर सकेगी!
छोड़िये!
धंधे-पानी की बात करते हैं । एक फ़िल्म बनाते हैं । पैसा आप लगाइये, थीम
मेरे पास है – दो भाई हैं, एक बम बेचता है, दूसरा बम से बचने का उपाय बेचता है ...कुछ लोगों को पेट भरने के लिये रोटी
नहीं मिलती, कुछ लोग मौत के व्यापार में अरबों कमा रहे होते हैं
। लास एंजेलेस की भव्य इमारतों के बाहर ...चौड़ी, ख़ूबसूरत
सड़कों पर “ख़ूबसूरत जरी वाली साड़ी पर पैबंद की तरह” हजारों होमलेस लोगों का बसेरा
है । एक लॉन्ग शॉट चाँद के धब्बों का भी लेना होगा । इसके तुरंत बाद कैमरा उतर कर
वहाँ फ़ोकस करेगा जहाँ कैलीफ़ोर्निया की एक किशोरी सड़क के किनारे रखे कचरे के डब्बे
से खाने की कुछ चीजें खोज रही है । कचरे के ढेर के पास कुछ लोग ड्रग्स की पिन्नक
में “तनिक खड़े से, तनिक बैठे से, तनिक
लेटे से और तनिक झुके से” की सम्मिलित मुद्रा में पिछले कई घण्टे से स्थिर हैं ।
शायद वे “तनिक से जीवित और तनिक से मृत” की सम्मिलित स्थिति में अवस्थित हैं ।
दुनिया
इसी तरह चलेगी ... कुछ समय और ...फिर एक दिन सब कुछ समाप्त हो जायेगा । डिवाइस और
एण्टी डिवाइस की दौड़ भी समाप्त हो जायेगी । दर्द बेचने वाला भी समाप्त हो जायेगा
और दर्द की दवा बेचने वाला भी । मैं अरविंद केजरीवाल से भिन्न किस्म वाला एक “आम
आदमी” हूँ ..यानी “आतंकित एवं अनिवार्य ग्राहकों” की श्रेणी में आता हूँ इसलिये
हिमालय जाने से पहले मुझे यह फ़िल्म पूरी करनी ही है ।